राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से शुक्रवार को राजभवन में क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ0 सरदार सिंह ने शिष्टाचार भेंट की। उन्होंने राज्यपाल को केंद्र के क्रियाकलापों और गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय रेशम बोर्ड के क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान सहित उत्तराखण्ड में 5 केन्द्र हैं जिसमें सभी वैज्ञानिक इकाईयां कार्य कर रही है। डॉ0 सिंह ने बताया कि उत्तराखण्ड में 10 हजार लोग रेशम उत्पादन से जुड़े हैं। यहां के रेशम की गुणवत्ता अंतर्राष्ट्रीय स्तर की है और पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी बेहतर संभावनाएं हैं। उन्होंने अवगत कराया कि रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एन.एच के किनारों में शहतूत के पेड़ लगाए जा रहे हैं जिससे ग्रीन हाईवे के साथ-साथ लोगों के लिए यह आर्थिक लाभकारी भी होगा। वर्तमान में पौधे लगाने का यह कार्य रूड़की और खटीमा राष्ट्रीय राजमार्गों में चल रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि रेशम उत्पादन खासा लाभकारी कार्य है विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में रेशम उत्पादन आय का स्रोत बन सकता है। उन्होंने कहा की रेशम उत्पादन पलायन रोकने में कारगर साबित हो सकता है इस पर विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रेशम खेती में पेड़ आधारित है। एक बार पेड़ लगाने पर 30-35 वर्षों तक उससे फसल ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि रेशम की खेती करने के लिए अधिक से अधिक किसानों को प्रेरित करने पर जोर दिया जाय।