Khalistan Movement – हाल ही में कानाडा और भारत के बीच द्वपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ा है। जब जून 2023 में भारत द्वारा नामित एक आतंकवादी व खालिस्तानी नेता की हत्या होने पर कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारत सरकार पर उसकी हत्या का आरोप लगाया।
आज हम भारत और कनाडा राज्यों के द्वपक्षीय संबंधों पर पड़ते खालिस्तान आन्दोलन (Khalistan Movement) के कुप्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे-
राजेन्द्र जोशी।
जैसे की आप सभी जानते हैं कि भारत के राजनैतिक इतिहास में आजादी के बाद धार्मिक आधार पर विभाजन हुआ जिसके फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान व पश्चिमी पाकिस्तान का जन्म हुआ। खालिस्तान की सोच भी इसी धार्मिक विभाजन के समय की उपज है जो कि कालांतर मेें एक पूर्ण लोकतांत्रिक आन्दोलन से हिंसक आन्दोलन बन कर रह गया।
Khalistan Movement की पृष्ठभूमि की बात करते हैं तो इसका आरम्भ भारत-पाक विभाजन के समय से ही हो गया था, विभाजन के समय हजारों सिखों का नरसंहार और सिखों के कई पवित्र धार्मिक स्थल तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह के सामा्रज्य अविभाजित पंजाब का विभाजन जो कि वर्तमान में आधा पाकिस्तान व आधा भारत के नियंत्रण में है। इसी पंजाब क्षेत्र व इसके आसपास के क्षेत्रों जैसे चण्डीगढ़, हिमांचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखण्ड जैसे अन्य राज्यों को मिलाकर बने खालिस्तान की मांग उसी समय से उठती आई हैं।
Khalistan Movement अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में 1984 में जरनैल सिंह भिंडरवाला ने अकाल तख्त से आदेश जारी करने शुरू किये जो सम्पूर्ण सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होता है। ठीक इसी समय भारत सरकार को भिंडरवाला से चुनौती मिल रही थी परिणामस्वरूप 01 जून 1984 को ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के तहत मौजूदा इंदिरा गांधी सरकार ने स्वर्ण मंदिर पर सैनिक कार्यवाही के आदेश दिये व स्वर्ण मंदिर पर हजारों खालिस्तानी सिख समर्थक व सेना के संघर्ष में खालिस्तानी सिखों को मार दिया गया और स्वर्ण मंदिर को उग्रवादीयों से मुक्त कराया गया। इस कार्यवाही के फलस्वरूप खालिस्तान की मांग पहले से और अधिक तेज हो गई।
जिसके फलस्वरूप कनाडा के सिख राष्ट्रवादियों ने एयर इंडिया के एक विमान को बम से उड़ा दिया, जिसमें 300 से ज्यादा भारतीयों की मौत हुई और भारत में इसी दौर में सिख विरोधी दंगे हुए जिसमें लगभग 8000 सिखों को मार दिया गया।
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अगर हम वर्तमान की स्थिति को देखते हैं तो जो इस समय भारत गणराज्य के पंजाब राज्य में निवास कर रहे हैं वह सिख खालिस्तान के विचारों से कई दूर हैं लेकिन पंजाब व देश से दूर रह रहे सिख आज भी खालिस्तान की मांग रखते हैं व अनेक प्रकार के आंदोलन करते आये हैं। क्योंकि उनमें 1884 से सिख विरोधी दंगों को यादें ताजा हैं जिसके चलते वह लोग इस प्रकार के खालिस्मान समर्थन हिंसक आन्दोलन का हिस्सा बन एक नए संप्रभु राज्य की स्थापना के लिए (Khalistan Movement) आन्दोलन कर रहे हैं।
जिसके परिणामस्वरूप ही हाल ही के दिनों में कनाडा में इस प्रकार के खालिस्तानी समर्थक आन्दोलनकारी व भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या होती है जिसको लेकर कनाडाई प्रधानमंत्री ने भारत को इस हत्या प्रकरण के लिए जिम्मेदार बताया, जिस पर भारत ने कढ़ा विरोध जताया और इस पर भारत को अन्य देशों से वैश्विक समर्थन भी मिल रहा है।