देहरादून। भारत में एकतरफ लोकसभा चुनावों को लेकर गर्मी बड़ गई है वहीं बीते हुए कल में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में एक जनसभा में समान नागरिक सहिंता यानि Uniform Civil Code (UCC) को लेकर अपनी बात बोली, जिससे भाजपा की चुनावी रणनीति स्पष्ट हो गई।
तो आओ! आपको आज जानकारी देते हैं समान नागरिक सहिंता को लेकर, साथ ही यह भी देखेंगे की क्या भारत जैसे देश में यह लागू कर पाना संभव भी है, अगर हां तो क्यों और कैसे ?
समान नागरिक संहिता एक बार फिर से आम चर्चा में आ गया है, देश के विधि आयोग ने इस पर परामर्श का काम शुरू कर दिया है। इसी के चलते आजकल विधि आयोग इसमें आम लोगों से भी राय मांग ले रहा है, जो कि आपको 30 दिनों के भीतर देती होती है। आप आज ही सरकरी साइट पर जा कर अपनी राय दे सकते हैं।
कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले आयोग ने बयान जारी कर कहा कि जो लोग अपनी राय में देने में रूचि रखते हैं और इच्छुक हैंए वे अपनी राय 30 दिनों के अंदर दे सकते हैं।
What is Uniform Civil Code
यूनिफॉर्म सिविल कोड एक देश एक नियम के तहत काम करता है। इसके तहत सभी धर्म के नागरिकों के लिए विवाहए तलाक, गोद लेना, विरासत और उत्तराधिकार जैसे कानूनों को एक कॉमन कानून के तहत नियंत्रित करने की बात कही गई है, फिर चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म का क्यों न हो।
मौजूदा समय में अलग-अलग धर्मों में इन्हें लेकर अलग-अलग राय और कानून हैं।
भारतीय संविधान में कहां पर लिखित है कोड
भारतीय संविधान के Article 44 के भाग चार में समान नागिरक संहिता (Uniform Civil Code) का उल्लेख किया गया है। Artical 44 के मुताबिक, राज्य यानि भारत सरकार भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगी।
अनुच्छेद 44 का उद्देश्य कमजोर समूहों के खिलाफ भेदभाव दूर कर विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच सामांजस्य स्थापित करना था। उस समय भारत के पहले कानून मंत्री डॉ0 बीआर अंबेडकर ने कहा था कि समान नागिरक संहिता वांछनीय है, लेकिन फिलहाल यह स्वैच्छिक होनी चाहिए।
कैसे आया था Uniform Civil Code
यूनिफॉर्म सिविल कोड सबसे पहले ब्रिटिश सरकार के समय आया था, जब ब्रिटिश सरकार ने सुबूत, अपराध और अनुबंधों से संबंधित एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में भारत की संहिताकरण की एकरूपता को लेकर जोर दिया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि हिंदू और मुस्लिम के व्यक्तिगत कानून संहिताकरण से बाहर रहे।
साल 1941 में हिंदू कानूनों को सहिंताबद्ध करने के लिए बीएन राव समिति का गठन भी किया गया था।
क्यों जरूरी है Uniform Civil Code
अब सवाल आता है कि भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड क्यों जरूरी हैए तो जैसे की आपको पता है कि भारत विविधताओं का देश का कहा जाता है। यहां अलग.अलग जाति और धर्मों में शादी और तलाक को लेकर अलग.अलग नियम हैं। वहीं लोग शादी और तलाक को लेकर पर्सलनल लॉ बोर्ड ही जाते हैं।
जाहिर है इतनी जानकारी लेने के बार आप भी यह सोच रहे होंगे कि यह कोड की जरूरत क्या है, क्या इसके बिना भी काम चलाया जा सकता है, क्योंकि भारत अनेकों धर्म और विविधताओं का देश है?
ऐसे में इन नियमो के कारण कानून प्रणाली भी प्रभावित होती है। यूसीसी कोड बनने के बाद तो अन्य सभी पर्सलनल लॉ बोर्ड शून्य हो जाऐंगे।
अधिक जानकारी के लिए आप यहां पर देख सकते हैं-
समान नागरिक संहिता के विषय में आप और अधिक जानने के लिए विकिविडिया पर विजिट कर सकते हैं।