देहरादून। उत्तराखंड में मंगलवार दोपहर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। दोपहर करीब दो बजकर 52 मिनट पर पहाड़ से मैदान तक भूकंप महसूस हुआ। राजधानी देहरादून समेत, श्रीनगर, उत्तरकाशी, टिहरी व पूरे कुमाऊं मंडल में भूकंप आया।इस दौरान करीब पांच सेकंड तक धरती हिलती रही। हालांकि अभी तक कहीं से भी किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
जानकारी के अनुसार, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.5 रही। वहीं, भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे नेपाल में था। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों और कार्यालयों से बाहर निकल गाए। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भूकंप विज्ञानियों के मुताबिक, दो बजकर 25 मिनट पर 4.9 मैग्नीट्यूड का पहला झटका आया। वहीं, दो बजकर 51 मिनट पर 5.7 मैग्नीट्यूड का दूसरा झटका महसूस किया गया। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भूकंप विज्ञानियों की मानें तो उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। उत्तराखंड का ज्यादातर इलाका भूकंप के लिहाज से जोन चार और पांच में हैं। इसलिए बार-बार भूकंप की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।
उत्तराखंड राज्य सहित दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए हैं। मंगलवार दोपहर को 2.51 पर आए भूकंप के झटकों के बाद दहशत में लोग दफ्तर और घरों से बाहर निकल गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मॉलोजी के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता 6.2 मापी गई। जिसका केंद्र नेपाल के दिपायल से 38 किलोमीटर दूर जमीन से पांच किलोमीटर गहराई में था। झटके यूपी-दिल्ली समेतर कई राज्यों में महसूस किए गए। इससे पहले दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर भी भूकंप के झटके महसूस हुए थे। इसका केंद्र भी नेपाल था। उस वक्त इसकी तीव्रता 4.6 मापी गई थी। इसके झटके उत्तराखंड और यूपी के कुछ हिस्सों में महसूस किए गए थे। अचानक ही धरती कांपने से लोग दहशत में आ गए। श्रावस्ती में 2:51 पर भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। दो बार तेज झटके महसूस हुए। भूकंप की तीव्रता 4.6 रही। उत्तर भारत के कई राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। दिल्ली के अलावा गाजियाबाद, नोएडा और फरीदाबाद में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। पिछले कुछ समय से भारत, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान के पहाड़ी इलाकों में भूकंप के झटके बार-बार आ रहे हैं। खासतौर पर हिमालयन रेंज में लगातार झटके महसूस किए जा रहे हैं। इसको लेकर आईआईटी कानपुर की रिसर्च में बड़ा दावा किया है। इसके अनुसार, भारत के हिमालयन राज्यों में कभी भी भयावह भूकंप आ सकता है। यह भूकंप 1505 और 1803 में आए भूकंप जैसा हो सकता है। ‘हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर हो गई है। इसके चलते अब लंबे समय तक इस तरह के भूकंप आते रहेंगे। इस बार आए भूकंप का भी यह एक बड़ा कारण है। ये झटके हिमालयन रेंज पर आते हैं। जम्मू कश्मीर, लद्दाख, नेपाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में आने वाले भूकंप का असर कई बार दिल्ली एनसीआर और आसपास के राज्यों में भी देखने को मिलता है।’ 1505 और 1803 में उत्तराखंड में तीव्र भूकंप आ चुका है। 1505 में आए भूकंप का उल्लेख अकबरनामा और बाबरनामा में भी है। उस दौरान काफी नुकसान हुआ था। इसी तरह 1803 में भी तीव्र भूकंप आया था। जिसका असर दिल्ली एनसीआर, मथुरा तक देखने को मिला था। उस दौरान भी काफी नुकसान उठाना पड़ा था।
क्यों आता है भूकंप :- पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब:- भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
कैसे मापा जाता है भूकंप की तिव्रता :- भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।