उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष के बारे में (state tree of uttarakhand buransh)
उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष को स्थानीय बोली में ‘‘बुरांश’’ या ‘‘बुरूँश’’ कहते हैं, जो सुन्दर फूलों वाला वृक्ष है। यह वृक्ष भारत के उत्तर हिस्से में मध्य हिमालय से सटा राज्य उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष हैं। आमतौर पर स्थानीय लोग इसके फूलों की चटनी व रस अथवा जूस जैसे ठंडे पेय पदार्थ बनाते हैं जो वर्तमान में पूरे उत्तराखण्ड समेत सम्पूर्ण उत्तर भारत के राज्यों तक खूब पसंद किया जाता है।
बुरांश का वैज्ञानिक नाम क्या है? (What is the scientific name of Buransh?)
उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोड्रेंड्रॉन अर्बोरियम (Rhododendron arboreum) है यह झाड़ी अथवा वृक्ष की ऊँचाई वाला वृक्ष है।
बुरांश (rhododendron) कौन से कुल का वृक्ष है?
बुरांश एरिकेसिई कुल का वृक्ष है जो, मध्य हिमालय में पाया जाना वाला एक वृक्ष है जो, उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष है।
बुरांश (rhododendron) को उगाने के लिए किस प्रकार की जलवायु चाहिए?
What type of climate is required to grow Buransh?
बुरांश को करने के लिए मध्य हिमालय सबसे अच्छी जगह है, जहाँ की ऊँचाई समुद्र तट से 1500 से 4000 मीटर के मध्य में पाया जाने वाला सदाबहार वृक्ष है जो बसंत यानि मार्च-अप्रैल के मौसम में अपने लाल सुर्ख रंग के फूलों से उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौन्दर्य कोे और अधिक निखार देता है।
बुरांश के वृक्षों (rhododendron tree) की ऊँचााई कितनी होती है?
What is the height of Buransh trees? What is the height of Buransh trees in hindi?
बुरांश के वृक्षों की ऊँचााई 20 से 25 फीट तक हो सकती है। इसकी लकड़ी को आग के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है तथा पत्तों को खाद के रूप में कच्चे माल के रूप इस्तेमाल किया जाता है।
बुरांश के वृक्षों (rhododendron tree) की कितनी प्रजातियाँ पाई जाती हैं?
बुरांश के वृक्षों की लगभग 300 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो उत्तर-पूर्वी हिमालय क्षेत्र में बहुतायत पाई जाती हैं। रोडोडेंड्राँन अरबोरियम (Rhododendron arboreum) अपने सुन्दर लाल गहरे लाल रंग के फूलों के लिए विख्यात है। पष्चिम हिमालय में कुल चार प्रकार की जाति में इधर उधर बिखरी हुई, अत्यधिक ऊँचाई वाले स्थानों पाई जाती हैं। गौरतलब है कि दक्षिण भारत में केवल एक जाति रोडोडेंड्रॉन निलगिरिकम नीलगिरी पर्वत पर पाई जाती है।को खेती हेतू किस प्रकार के कार्य हुए हैं?
बुरांश के वृक्ष की सुन्दरता के कारण इसकी करीब 1000 एक हजार नस्लें निकाली गई हैं। इसकी लकड़ी की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण इसको लकड़ी उद्योग में भी इसकी खूब माँग है। जो किसानों व छोटे उद्योगों के लिए व किसानों की आय को दोगुना करने के विजन पर फिट होती हैं, जिस में उत्तराखण्ड समेत देष के अन्य इलाकों में इसका संवर्धन व खेती बड़े पैमाने पर हो रही है।
उत्तराखण्ड में के वृक्षों अवैध कटान को कैसे रोकें?
उत्तराखण्ड में बुरांश के अवैध कटान वन अधिनियम 1974 (Forest Act 1974) के अधीन बुरांश के वृक्ष को संरक्षित घोषित किया गया है। जिसके जहत कोई भी व्यक्ति बिना वन प्रषासन के आज्ञा लिये बुरांश वृक्ष का कटान नहीं कर सकता है।
‘‘बुरांश’’ का उपयोग व अन्य महत्व
बुरांश व उसके उत्पादों का प्रयोग अनेक कामों के लिए किया जाता है, जिसमें से कुछ उत्पाद व प्रयोग हैं-
1. खाद के रूप में प्रयोग-
बुरांश के वृक्ष की पत्तियाँ चौड़ी प्रकार की होती हैं जो सूखने के बाद कम्पोस्ट खाद बनाने व आर्नेनिक खाद बनाने में मददगार साबित होती है।
2. पेय व खाद्य के रूप बुरांष के इस्तेमाल-
इस उद्योग बुरांश को लोग इसके फूलों से जैम, जेली एवं प्रसिद्ध बुरांश जूस भी बनाते हैं। मना जाता है कि बूरांष का जूत अत्यंत लाभकारी और स्वादिष्ट होता है। इसकी पत्तियाँ से सब्जी भी बनाई जाती है।
3. दवाई के रूप में बुरांश का प्रयोग
बुरांश की पत्तियों से लेप इत्यादि बनाया जाता है, व इस तैयार लेप को एक खास तरह से लगाने से सरदर्द में अत्यंत सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।
साथ ही इसका लेप लगाने से माँसपेसियों के दर्द व अन्य बिमारीयों से छुटकारा मिलता है।
बुरांश के फूल व पत्तों के निरंतर सेवन से दमा (अस्थमा) व ष्ष्वास से जुड़ी बिमारीयों से निजात मिल जाता है।
सफेद बुरांश के जूस को प्रयोग दिल व पेट की बिमारीयों के उपचार के लिए किया जाता है।
4. बुरांश के वृक्ष के अन्य उपयोग
बुरांश की लकड़ी का प्रयोग चारकोल व ईंधन बनाने के लिए किया जाता है। यह बुरांश का वृक्ष अनेकों प्रक्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास मं महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोग बुरांश के फूलों से निर्मित जैम, जेली व पेय रस का कुटीर उद्योग लगाकर एक अच्छा व्यापार करते हैं, जिससे हिमालयी क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं, जो राज्य के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।