जिलाधिकारी सोनिका की अध्यक्षता में सिकल सेल रोग की रोकथाम एवं प्रबन्धन हेतु जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित की गई। जिलाधिकारी ने रोग की रोकथाम के साथ ही इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए, जिससे लोगों में इसके प्रति जानकारी रहे। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि थैलीसिमीया की जांच के दौरान सिकल सेल की भी जांच की जाए। लोगों में बीमारी के प्रति जागरूकता लाने हेतु एनजीओ की सहायता भी ली जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि इस बीमारी की जांच हेतु उपकरण आदि खनन न्यास से प्रस्तावित करें तथा कार्यक्रम की शुरूआत सर्वप्रथम जनपद के चकराता, कालसी, विकासनगर एवं सहसपुर ब्लाॅक से की जाए।
बैठक में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि हीमोग्लोबिनोपैथी लाल रक्त कोशिकाओं का एक अनुवांशिक रोग है जिसमें मुख्यतः सिकल सेल एनीमिया एवं थैलेसिमिया शामिल हैं। सिकल सेल एनीमिया ऐसा रक्त विकार है जिसमे लाल रक्त कोशिकाएं जल्दी टूट जाती हैं जिसके कारण एनीमिया तथा अन्य जटिलताएं जैसे कि वेसो- ओक्लुसिव क्राइसिस, फेफड़ों में संक्रमण, एनीमिया, गुर्दे और यकृत की विफलता, स्ट्रोक आदि के कारण रूग्णता और मृत्यु की सम्भावना होती है। सिकल सेल के रोगी दो प्रकार के होते है , सिकल सेल वाहक (लक्षण रहित/मंद लक्षण) एवं सिकल सेल रोगी (गंभीर लक्षण)/ सिकल सेल वाहक में गंभीर लक्षण नहीं होते किन्तु यह एक असामान्य जीन को अगली पीढ़ी में संचारित करता है। सिकल सेल की पहचान विशेष रक्त जांच से की जा सकती है। सिकल सेल एनीमिया यह एक अनुवांशिक रोग है इसलिये जब तक खून की जांच न करवाई जाए तब तक इस रोग की जानकारी नहीं मिलती सिकल सेल रोगी या परिवार को निरूशुल्क परामर्श एवं उपचार उपलब्ध है।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी झरना कमठान, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ नरेन्द्र सिंह, डाॅ एच.सी खुराना, जिला शिक्षा अधिकारी आर एस रावत, जिला समाज कल्याण अधिकारी गोवर्धन, सीडीपीओ नेहा सिंह, डाॅ0 के एस भण्डारी सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी एवं कार्मिक उपस्थित रहे।