ऋषिकेश 29 अगस्त। संस्कृत छात्र सेवा समिति की ओर से संस्कृत सेवा सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर नगर भर में शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा के समापन अवसर पर क्षेत्रीय विधायक व मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल जी ने अपना सम्बोधन दिया।
त्रिवेणी घाट पर समापन अवसर पर डॉ अग्रवाल ने कहा कि संस्कृत दिवस की शुरुआत 1969 में हुई थी। संस्कृत दिवस और संस्कृत सप्ताह भारतीय समुदाय या समाज को संस्कृत के महत्व और आवश्यकता को याद दिलाने और जन मानस में इसके महत्व को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में अपने मन की बात में मातृभाषा संस्कृत का जिक्र किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। इसे कई आधुनिक भाषाओं की जननी भी कहा जाता है। संस्कृत अपनी प्राचीनता के साथ-साथ अपनी वैज्ञानिकता और व्याकरण के लिए भी जानी जाती है। भारत का प्राचीन ज्ञान हजारों वर्षों तक संस्कृत भाषा में ही संरक्षित किया गया है। आज देश में संस्कृत को लेकर जागरुकता और गर्व बढ़ा है।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि संस्कृत भाषा अन्य भाषाओं की तरह केवल अभिव्यक्ति का साधन मात्र ही नहीं है, बल्कि वह मनुष्य के सर्वाधिक संपूर्ण विकास की कुंजी भी है। संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि संस्कारित भाषा है। इसीलिए इसका नाम संस्कृत है। हमारी आत्मा, हमारी अस्मिता, भारत की भारतीयता उसकी संस्कृति में है, जिसका प्राण संस्कृत भाषा है। डॉ अग्रवाल ने कहा कि संस्कृत के प्रति मेरी भी अटूट आस्था शुरुआत से रही है। कहा कि देश में विधायकी के रूप में संस्कृत भाषा में शपथ लेने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। यही नहीं यह सौभाग्य मुझे पुनः मंत्री पद की शपथ लेने के दौरान भी प्राप्त हुआ। डॉ अग्रवाल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के रूप में दायित्व संभालने के बाद विधानसभा के सभी दफ्तरों के नाम की पट्टीकाओं में हिंदी भाषा के साथ संस्कृत को भी रखा।
इस मौके पर प्रबंधक दर्शन महाविद्यालय संजय शास्त्री, संरक्षक संस्कृत व्यास समिति जनार्दन कैरवान, सुशील उनियाल, पुरुषोत्तम कोठारी, शांति प्रसाद मैठाणी, प्रधानाचार्य दर्शन महाविद्यालय डॉ राधा मोहन दास, ओम प्रकाश पोरवाल, कथा वाचक सुभाष डोभाल, गंगा राम व्यास, मनीराम पैन्यूली, अभिषेक गर्ग, पूर्व पालिकाध्यक्ष शम्भू पासवान, पार्षद शिव कुमार गौतम, सन्दीप शर्मा आदि सैकड़ो की संख्या में संस्कृत छात्र उपस्थित रहे।