सौरभ गुरुरानी
ग्राम प्रधान
ग्राम पंचायत चौसाला
करवाचौथ यानि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को सुहागिन महिलाओं या कुछ कन्याओं द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है।करवाचौथ को सुहागिने अपने अटल सुहाग,खुशहाल वैवाहिक जीवन,पति की दीर्घायु हेतु निर्जला व्रत रखती है,पहले ये त्योहार शहरी त्योहार था,लेकिन अब दूरस्थ क्षेत्रों गांव गांव में यह त्योहार महिलाओ द्वारा मनाया जाने लगा,कहा जा सकता है भारत के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से लेकर हर महानगर में इस त्योहार की धूम रहती है।करवाचौथ के लिए महिलाए बाजार से तमाम सामान खरीदती है, साड़ी , लते,श्रृंगार से लेकर चूड़ी,बिंदी मेंहदी तक वालों की दुकानों पर करवाचौथ से पूर्व बड़ी भीड़ रहती है ब्यूटी पार्लर,या साज सज्जा की दुकानों पर भी महिलाओं की बड़ी भीड़ रहती है।करवाचौथ कोई धार्मिक उत्सव या कोई परंपरागत त्योहार नहीं है, क्योंकि आदि काल से या पौराणिक कथाओं में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता है,हालांकि कुछ घटनाओं को लोग जरूर करवाचौथ से जोड़कर देखते हैं।मेरे हिसाब से तो करवाचौथ बाजार द्वारा प्रायोजित त्योहार है,ये त्योहार बड़े लोगों द्वारा शुरू किया गया त्योहार है,जिसकी शुरुआत पहले आर्थिक रूप से समृद्ध लोगो द्वारा की गई।पहले करवाचौथ शहरी क्षेत्रों में ही मनाया जाता था,जिसका प्रचार प्रसार टीवी सीरियलों,समाचार चैनलों, पत्र पत्रिकाओं,से होता गया और इसको लोग धीरे धीरे छोटे छोटे कस्बों में भी मानने लगे फिर गांव की तरफ इस त्योहार ने अपनी पहुंच बनाई,आज के सोशल मीडिया युग में यह त्योहार लगभग हर घर तक अपनी पहुंच बना चुका है।यह त्योहार महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार कहा जा सकता है,हालांकि महिलाएं हर व्रत त्योहार को बड़ी संख्या में मनाती है,लेकिन करवाचौथ को बड़ी संख्या में महिलाओं द्वारा मनाया जाने लगा है।इस त्योहार से पूर्व बाजारों में खासी रौनक आ जाती है,छोटे छोटे दुकानदार भी अच्छा बिजनेस कर लेते है,मिट्टी के घड़े, दीए से लेकर,चूड़ी,बिंदी, मेकअप के सामान से लेकर ब्यूटी पार्लर,मेंहदी ,मिठाई आदि के व्यापारी करवाचौथ के अवसर पर अच्छा व्यापार करते हैं। कहा जा सकता है दीपावली से पूर्व बाजारों में मातृशक्ति द्वारा करवाचौथ पर बड़ी खरीददारी की जाती है ।वैसे तो हर त्योहार या व्रत उत्सव की धुरी महिला ही होती है लेकिन करवाचौथ विशेषकर महिलाओं का अब बड़ा त्योहार बन गया है,आने वाले दशकों में इसे परंपरागत त्योहार ही माना जाने लगेगा,आज लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है,आज लोगो के जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है,पहले की तरह अब भुखमरी नहीं रही,पहले की तरह लोग रोटी कपड़े के लिए नहीं तरसते हैं,अब बहुत कम लोग ही होंगे जिनके पास अपना घर न हो,अब प्रधानमंत्री आवास में आवास से वंचितों,गरीबों के घर बन रहे है लाखों बेघरों के घर बन चुके है,आज गरीबों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अनपूर्णा योजना से फ्री राशन मिल रहा है,कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अब लोगो के रोटी कपड़ा मकान की जरूरतें लगभग पूरी हो गई है।आवश्यक सुविधाएं मुहैया होने लगी है तो लोगो द्वारा अपना जीवन स्तर को मजबूती दिया जाना सुखद है,करवाचौथ भी एक तरह से अपने जीवन स्तर को मजबूती प्रदान करने का ही त्योहार है,साथ ही सुखमय दांपत्य जीवन हेतु ईश्वर से प्रार्थना करने का अवसर भी है।करवाचौथ महिलाओ की दृढ़ संकल्प का भी त्योहार है,पौराणिक कथाओं में सत्यभान सावित्री की कथा हमने सुनी,माता अनुसुइया की कथा हमने सुनी,,अहिल्या,सीता माता,तारा,मंदोदरी आदि महान मातृशक्ति पर हम सभी भारतीयों को सनातनियों को गर्व है,आज के बाजारबाद के युग में भले ही इस त्योहार को हम बाजार द्वारा प्रायोजित त्योहार कहे लेकिन आज भी करवा चौथ का मूल अपने सुहाग ,अपने पति की दीर्घायु की कामना,अटल सुहाग की कामना से है,आज करवाचौथ की धूम बड़े बड़े महानगरों से लेकर छोटे छोटे कस्बों,और गावों तक है , सभी सुहागिन महिलाओं को पति पत्नी के आपसी प्रेम,स्नेह और अटूट विश्वास के त्योहार करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनाएं।ईश्वर सभी सुहागिन महिलाओं की मनोकामना पूर्ण करें।