देहरादून। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। व्रत सवेरे सूर्योदय से पहले लगभग 4 बजे से आरंभ होकर रात में चंद्रमा दर्शन के उपरांत संपूर्ण हुआ। सुहागिन स्त्रियों ने करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखा। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बताया की पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आज भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की गई।करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी के जैसे दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। जो सौभाग्यवती स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे करवाचौथ का व्रत रखती हैं।
उत्तराखंड में करवा चौथ का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। आम से लेकर खास वर्ग तक में पर्व की धूम रही। करवा चौथ को लेकर दिन में बाजारों में धूम दिखी। महिलाओं ने दिन भर निर्जला व्रत रखकर अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना की। शाम को चांद का दीदार कर अपना व्रत तोड़ा। हर किसी को शाम को व्रत खुलने का इंतजार करते देखा गया। देहरादून में शाम को मौसम साफ रहा। इस कारण व्रतियों को चांद का दीदार करने में अधिक मुश्किल नहीं हुई। सुहागिनों ने चांद की पूजा और अर्घ्य देने के बाद छलनी से जीवनसाथी का चेहरा देखा। इसके बाद पानी पीकर व्रत तोड़ा। इससे पहले अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने दिन भर करवा चौथ का व्रत रखा। दिनभर निर्जला व्रत रख कर महिलाओं ने जीवनसाथी की लंबी आयु और सुखद गृहस्थ जीवन की कामना की। सुबह घरों में शिव, पार्वती और गणेश भगवान की पूजा की गई। इसके बाद शाम को मंदिरों में भी महिलाएं पूजा करने पहुंचीं। देहरादून में कई महिलाओं को ऑनलाइन भी व्रत खोलते देखा गया। दरअसल, जिन महिलाओं के पति बाहर रहते हैं, उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए अपने सुहाग को देखा। इसके बाद व्रत खोला। व्रत की धूप पूरे प्रदेश में देखी गई।