देहरादून। Uttarakhand राज्य भारत का एक प्रमुख प्रदेश है, एक बेहद लंबे राजनैतिक व सामाजिक संघर्षों का बाद (Uttarakhand) उत्तराखंड राज्य का निर्माण 09 नवम्बर 2000 ई0 को भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। यह पहले भारत गणराज्य के एक राज्य उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित था, जिसे 2000 में भारतीय संसद ने एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी थी। उत्तराखंड का भूगोलिक स्वरूप बेहद प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन स्थलों से भरपूर है, जिसमें हिमालय की महान चोटियां और धर्मनगरी ऋषिकेश, नैनीताल, देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार जैसे एकाएक अन्य पर्वतीय प्रमुख शहर शामिल हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। यहां की अनेकों स्थानीय संस्कृति, गायन और नृत्य खास तौर पर प्रमुख हैं। उत्तराखंड का राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास इसकी प्रगति व देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Uttarakhand की राजधानी देहरादून के बारे में।
देहरादून, Uttarakhand राज्य की राजधानी और प्रमुख शहर है साथ ही साथ यहां पर अनेकों विश्वविद्यालय, सरकारी दफ्तर, राजनीतिक दलों के मुख्यालय/प्रदेश कार्यालय मौजूद हैं और देहरादून प्रशासनिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। देहरादून भारत की राजधानी से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और हिमालय की पहाड़ियों के बीच बसा है। देहरादूल का विस्तार इन दिनों तेजी के साथ बढ़ रहा है, लेकिन शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति से प्रसिद्ध है, लेकिन 2024 का वर्ष पूरी दूनिया के साथ-साथ देहरादून के लिए भी एक रिकॉर्ड गर्मी (लगभग 45 डिग्री सेल्सीयस) के साथ गर्म रहा जो शहर की प्राकृतिक सुंदरता और सुहाने मौसम पर एक प्रशनचिन्ह लगाता है।
Uttarakhand, देहरादून के मौसम का सौंदर्य उसके विभिन्न पर्वत शिखरों और प्राकृतिक वन्यजीवन से भरपूर माना जाता है। यहां का बाजार और खरीदारी का क्षेत्र भी प्रसिद्ध है, जहां स्थानीय उत्पादों और हस्तशिल्प को खरीदा जा सकता है, जिसके लिए आप पल्टन बाजार, इन्दिरा मार्केट तथा उन्य बड़े-बड़े मालों के भी खरीददारी कर सकते हैं। देहरादून में स्थानीय लोक कला, संस्कृति, और विभिन्न परंपराओं की धरोहर भी है, जो शहर की जीवंत और विविध बनाती है।]
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Uttarakhand के सभी जिलों पर संक्षिप्त जानकारी।
Uttarakhand राज्य में कुल 13 जिले हैं, जो अपने पृथक प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर व लोक कला से भरपूर हैं, तो आइये हम एक एक कर उत्तराखण्ड के प्रत्येक जनपद के बारे में आपको बताते हैं।
अल्मोड़ा- यह जिला उत्तराखंड के पश्चिमी हिमालयी भाग में स्थित है और यह समुद्र तल से 1638 मीटर ऊपर है। इसे धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों के लिए जाना जाता है, इस पर्वतीय शहर के स्थापना के कोई जानकारी नहीं मिलती लेकिन कुंमाउ के चंद राजवंश ने जब राजधानी चम्पावत से अल्मोड़ा में स्थापित की तब से यह एक राजनैतिक केन्द्र रही, जहां पर गोरखों के बाद अंग्रेजों ने भी अपनी राजधानी के रूप में अल्मोड़ा का चयन किया गया, इसकी स्थापना वर्ष 1840 ई0 हुई।
बागेश्वर- बागेश्वर का शहर इस जपनद का मुख्यालय है। बागेश्वरजिला 1997 में स्थापित किया गया था। इससे पहले बागेश्वर, अल्मोड़ा जपपद का ही हिस्सा था। यह जिला हिमालय के मध्य भाग में स्थित है और अपनी प्राकृतिक बेहद सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। बागेश्वर शहर पवित्र सरयू व गोमती नदियों के संगम पर स्थित है जिसका सम्बन्ध भगवान शिव से है यहां पर महादेव का बागेश्वर मंदिर स्थित है जो सभी पापों के उद्धारकर्ता हैं। पुराणों के अनुसार यह निस्संदेह एक स्थान है जहाँ मनुष्य जन्म और मृत्यु की अनन्त बंधन से मुक्त हो जाता है। यह पूर्व और पश्चिम में भीलेश्वर और निलेश्वर पहाड़ों से और उत्तर में सूरज कुंड और दक्षिण में अग्नि कुंड से घिरा हुआ है, भगवान शंकर की यह भूमि का महान धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व है। यहां पर मौजूद बागेश्वर मंदिर है जो स्थानीय राजी जनजाति के अराध्य देव महादेव का हैं, जिन पर राजी जनजाती के लोग विशेष पूजा अर्चना करते हैं। साथ ही साथ यह साहसिक व धार्मिक पर्यटन के लिए भी एक विशेष स्थान रखता है, जो उत्तराखण्ड के विकास में अपनी भूमिका निभा रहा है।
नैनीताल- Uttarakhand राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां की प्रमुख आकर्षण नैनीताल झील है, जो पहाड़ी दृश्यों और पानी के झीलों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह झील उत्तराखंड की सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक है और यहां के पर्यटन उद्योग का मुख्य आधार है। नैनीताल एक शांत और सुरक्षित स्थान है, जहां घूमने के लिए अच्छी व्यवस्था है। यहां के वातावरण में स्वास्थ्यप्रद वायु और सुखद मौसम होता है, जिससे यात्री अपने अवकाश का आनंद लेते हैं। नैनीताल के पास कई पारंपरिक और ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें नैना देवी मंदिर, स्ट. जॉन चर्च, सुन्दरबान और स्नो प्वाइंट प्रमुख हैं। यहां की स्थानीय बाजार में स्थानीय वस्त्र, शिल्पकला, और हस्तशिल्प का विशेष महत्व है। नैनीताल विभिन्न प्रकार की रेवड़ी, बाल-मिथाई, और स्थानीय खाद्य-पदार्थों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसका मौसम वर्षा और गर्मियों के दौरान पर्यटकों के लिए उपयुक्त होता है। नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण इसे पर्यटन का एक पसंदीदा पर्यटक स्थल बनाते हैं।
चंपावत- चंपावत जिला बनने से पूर्व में अल्मोडा (Almora) जनपद का एक अभिन्न हिस्सा था। 1972 में पिथौरागढ़ जिले के तहत यह हिस्सा आ गया इसकेक बाद 15 सितंबर 1997 में चंपावत को एक पृथक जनपद घोषित किया गया। इस जनपद का यह नाम चम्पावती देवी के नाम से पड़ा है जो यहां के स्थानीय लोगों की कुलदेवी हैं। उत्तराखण्ड में संस्कृति और धर्म की उत्पत्ति की जगह के रूप में उत्तराखंड (Uttarakhand) में चंपावत को जाना जाता है। इस क्षेत्र में खस राजाओं व बाद में अनेकों चंद साम्राज्य के राजाओं ने शासन किसा। क्षेत्र के ऐतिहासिक स्तंभ, किले, स्मारक, पांडुलिपियां, पुरातत्व संग्रह और लोककथाएं चम्पावत जनपद के ऐतिहासिक महत्व का प्रमाण हैं। पांडुलिपियां यह स्पष्ट कर देती हैं कि कत्युर साम्राज्य ने अतीत में इस क्षेत्र पर शासन किया था तथा बाद में कुछ खस राजाओं व महान चंद राजवंश ने शासन किया थाचंपावत जिले उत्तराखंड राज्य के 13 जिलों में से एक है। चंपावत जिले का प्रशासकीय मुख्यालय चम्पावत में है। यह राज्य की राजधानी देहरादून की 266 किमी पश्चिम दिशा में स्थित है। चंपावत जिले की आबादी लगभग 259648 है तथा यह आबादी से राज्य में 12 वें सबसे बड़ा जिला है।
पिथौरागढ़ – पिथौरागढ़ जिला भारत के Uttarakhand राज्य का सबसे पूर्वी हिमालयी जिला है। यह प्राकृतिक रूप से उच्च हिमालयी पहाड़ों, बर्फ से ढकी चोटियों, दर्रों, घाटियों, अल्पाइन घास के मैदानों, जंगलों, झरनों, बारहमासी नदियों, ग्लेशियरों और झरनों से घिरा हुआ है। क्षेत्र की वनस्पतियों और जीवों में समृद्ध पारिस्थितिक विविधता है। चंद साम्राज्य के उत्कर्ष काल में पिथौरागढ़ में कई मंदिर और किलों का निर्माण हुआ था ।पिथौरागढ़ जिले की संपूर्ण उत्तरी और पूर्वी सीमाएं अंतरराष्ट्रीय हैं, यह भारत के उत्तर सीमा पर एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिला है। तिब्बत से सटे अंतिम जिला होने के कारण, लिपुलख, लंपिया धुरा, लॉई धूरा, बेल्चा और केओ के पास तिब्बत के लिए खुले रूप में काफी महत्वपूर्ण सामरिक महत्व है।
उधम सिंह नगर: प्रकृति प्रेमियों और आध्यात्मिक जिज्ञासुओं से लेकर रोज़मर्रा की भागदौड़ से बचने की चाह रखने वालों तक उधम सिंह नगर जिले में हर तरह के यात्रियों के लिए कुछ न कुछ है। चाहे वह कई प्रतिष्ठित पूजा स्थलों में से किसी एक की तीर्थयात्रा हो या किसी झील पर परिवार और दोस्तों के साथ मौज-मस्ती से भरी पिकनिक का आनंद लेना हो या बस आसपास के शांत सौंदर्य का आनंद लेना हो। जिला मुख्यालय रुद्रपुर में स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है जिसको बसाने का श्रेय चंद राजवंश के राजा रुद्र चंद्र को जाता है। इतिहास के अनुसार, 1588 में, मुगल सम्राट अकबर ने यह भूमि राजा रुद्र चंद को सौंप दी, जिन्होंने तराई को लगातार आक्रमणों से मुक्त कराने के इरादे से एक सैन्य शिविर स्थापित किया। एक बड़े पैमाने पर औद्योगिक और कृषि जिला, उधम सिंह नगर अक्टूबर 1995 में एक अलग जिले की पहचान पाने से पहले नैनीताल जिले का एक हिस्सा था। ‘उत्तराखंड का भोजन का कटोरा’ (Food Bowl of Uttarakhand) और ‘चावल की नगरी’ (Rice City of Uttarakhand) के रूप में जाना जाता है, जिले का नाम रखा गया था महान स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गी उधम सिंह की स्मृति में। (उधम सिंह नगर के विषय में जानकारी एनआईसी पोर्टल के ली गई है)
देहरादून: Uttarakhand राज्य की राजधानी और प्रमुख शहर है साथ ही साथ यहां पर अनेकों विश्वविद्यालय, सरकारी दफ्तर, राजनीतिक दलों के मुख्यालय/प्रदेश कार्यालय मौजूद हैं और देहरादून प्रशासनिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। देहरादून भारत की राजधानी से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और हिमालय की पहाड़ियों के बीच बसा है। देहरादूल का विस्तार इन दिनों तेजी के साथ बढ़ रहा है, लेकिन शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति से प्रसिद्ध है, लेकिन 2024 का वर्ष पूरी दूनिया के साथ-साथ देहरादून के लिए भी एक रिकॉर्ड गर्मी (लगभग 45 डिग्री सेल्सीयस) के साथ गर्म रहा जो शहर की प्राकृतिक सुंदरता और सुहाने मौसम पर एक प्रशनचिन्ह लगाता है।
हरिद्वार (Haridwar): प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जनपद एक स्वर्ग समान है। हरिद्वार भारतीय संस्कृति और सभ्यता की बहुरूपदर्शिका प्रस्तुत करता है। हरिद्वार को ‘ग्ढ़वाल का प्रवेश द्वार’ भी कहा जाता है, साथ ही साथ इसके कई अन्य नाम भी हैं जैसे- मायापुरी, कपिला, गंगाधर के रूप में भी जाना जाता है। भगवान शिव के अनुयायी और भगवान विष्णु के अनुयायी इसे क्रमशः हरद्वार और हरिद्वार नाम से उच्चारण करते हैं। जैसा की कुछ लोगो ने बताया है की यह देवभूमि चार धाम अर्थात बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के प्रवेश के लिए एक केन्द्र बिंदु है। यह जनपद धार्मिक नगरी होने के साथ-साथ उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में देखा जाता है चूकि यहां पर सिडकुल स्थित है जहां पर हजारों कारखाने मौजूद हैं।
चमोली (Chamoli): देवी-देवताओं का निवास स्थान होने के साथ-साथ चमोली जनपद अपने विख्यात मंदिरों के लिए प्रतिष्ठित है। ‘चिपको आंदोलन’ Chipko Movement का जन्मस्थान, इसकी रणनीतिक महत्व के साथ उत्तराखंड भारत के पहाड़ी जिले में से एक है। चमोली ने सिद्ध किया कि “अपनी प्राकृतिक संपत्तियों में सबसे शानदार है। चमोली जनपद में अनेकों झीलें, ताल, डैम, बुग्याल, घास के मैदान, धार्मिक पर्यटन के लिए अनेकों मंदिर मौजूद हैं।