देहरादून। विगत माह 08-09 दिसंबर को आयोजित हुए उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के शुभारम्भ के अवसर पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आये थे तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें तिमूर से बना एक खास इत्र उपहारस्वरुप भेंट किया था. पीएम मोदी को तिमूर से बना अलौकिक सुगंध वाला इत्र इतना पसंद आया कि उन्होंने सीएम धामी से फ़्रांस की कंपनियों से समन्वय स्थापित कर व्यापारिक संभावनाएं तलाशने को कहा. तिमूर उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली एक वनस्पति है जो कि कई औषधीय गुणों से भी युक्त है. पुराने समय में लोग इसका उपयोग अलग-अलग तरह से करते थे. आज के समय में तिमूर का उपयोग इत्र, टूथ पेस्ट, दवाइयां, मसाले आदि बनाने में किया जा रहा है. देहरादून के सेलाकुई में स्थित सगंध पौधा केंद्र के अत्याधुनिक प्रयोगशाला में तिमूर के बीज से बना ये इत्र तैयार किया गया था.
तिमूर ही नहीं बल्कि सिनेमन, लैमनग्रास, जापानी मिंट, डेमस्क गुलाब, तुलसी जैसी अनेक सुगन्धित वनस्पतियाँ हैं जो उत्तराखंड में पाई जाती हैं. इन सभी के उत्पादन को उत्तराखंड सरकार बढ़ावा दे रही है. उत्तराखंड के लगभग 30 हजार किसान 8 हजार एकड़ जमीन पर आज परम्परागत फसलों की खेती के स्थान पर सगंध पौधों की खेती कर रहे हैं और इसके माध्यम से अपनी और अपने प्रदेश को आर्थिक रूप से समृद्ध कर रहे है. सगंध पौधों के उत्पादों की आज मार्केट में भारी डिमांड है और सरकार भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों को बायबैक की गारंटी प्रदान कर रही है. उत्तराखंड में उत्पादित होने वाले सगंध पौंधों के उत्पादों की भारी मांग देश में ही नहीं अपितु विदेश में भी है. उत्तराखंड में उत्पादित होने वाले गुलाब जल का निर्यात भारी मात्रा में विदेशों में ही होता है. एक जिला दो उत्पाद में भी सगंध उत्पादों को शामिल करके उत्तराखंड सरकार उन्हें बढ़ावा दे रही है. उत्तराखंड में अभी सगंध पौंधों के उत्पादों का व्यापार लगभग 80 से 90 करोड़ के बीच में है जो कि जल्द ही 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लेगा. आने वाले वर्षों में उत्तराखंड के सुगन्धित उत्पादों का व्यापार और अधिक बढ़ने की संभावना है उम्मीद की जा रही है कि उत्तराखंड के सुगन्धित उत्पादों की मार्केट भी उत्तराखंड की जीडीपी को डबल करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा.
सगंध पौधों की खेती में किसानों की लागत कम आती है और मुनाफा अधिक होता है. यही वजह से है कि आज उत्तराखंड के किसानों का रुझान सगंध पौधों की खेती की तरफ बढ़ रहा है. उत्तराखंड सरकार सेंटर फॉर एरोमेटिक प्लांट्स ( कैप) के माध्यम से सगंध पौधों के कृषिकरण, प्रसंस्करण एवं विपरण हेतु अनेक सुविधाएँ उपलब्ध करा रही है. भूमि का सर्वेक्षण, प्रजाति चयन से लेकर कृषकों को प्रशिक्षण तक की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है. चयनित प्रजातियों के कृषिकरण लागत पर किसानों को 50% अनुदान उत्तराखंड सरकार प्रदान कर रही है. सगंध पौधों के प्रसंस्करण हेतु आवश्यक यंत्रों एवं उपकरणों की खरीद पर 10 लाख तक के व्यय पर पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों में क्रमशः 75% एवं 50% अनुदान उत्तराखंड सरकार प्रदान कर रही है.