Introduction: शिवाजी बनाम मुग़ल – एक रणनीतिक युद्ध
Treaty of Purandar : 17वीं शताब्दी में भारत में सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था मुग़ल, लेकिन उसी समय एक साहसी और दूरदर्शी योद्धा शिवाजी भोसले महाराष्ट्र में मराठा राज्य की नींव रख रहे थे। मुग़लों और मराठों के बीच लंबे संघर्ष का एक ऐतिहासिक मोड़ बना – पुरंदर की संधि (Treaty of Purandar), जो 11 जून 1665 को हुई।
Background: शिवाजी का उदय और मुग़ल प्रतिक्रिया
- शिवाजी ने 1645 से लेकर 1663 तक कई किलों पर अधिकार कर मुग़लों और बीजापुर सल्तनत को चुनौती दी।
- 1663 में शाइस्ता खां की हार और सूरत पर हमला, मुग़ल सत्ता के लिए बड़ी चुनौती बना।
- औरंगज़ेब ने राजा जयसिंह को एक बड़ी सेना के साथ भेजा ताकि शिवाजी को हराया जा सके।
Purandar Treaty – संधि की प्रमुख शर्तें
11 जून 1665 को हुई यह संधि, मराठों और मुग़लों के बीच युद्धविराम का प्रतीक बनी। मुख्य बिंदु:
- 🏰 23 किले शिवाजी ने मुग़लों को सौंपे, केवल 12 उनके पास रहे।
- 💰 4 लाख रुपये का मुआवज़ा, मराठों को मुग़लों को देना पड़ा।
- 👑 शंभाजी को मुग़ल दरबार में भेजा गया, सेवा के लिए।
- ⚔️ शिवाजी ने बीजापुर सल्तनत के खिलाफ मुग़लों को सहयोग देने पर सहमति दी।

Strategic Move by Shivaji – युद्ध नहीं, बुद्धि से विजय
शिवाजी जानते थे कि खुले युद्ध में मुग़लों से जीतना कठिन होगा। इसलिए उन्होंने इस संधि को एक रणनीतिक विराम की तरह अपनाया, ताकि मराठा सेना फिर से सशक्त हो सके।
Shivaji’s Escape from Agra – जब आगरा से हुआ नाटकीय पलायन
- संधि के बाद, जयसिंह के आमंत्रण पर शिवाजी 1666 में आगरा दरबार पहुँचे।
- औरंगज़ेब ने अपेक्षित सम्मान नहीं दिया, जिससे शिवाजी नाराज़ हो गए।
- इसके बाद उन्होंने अपने पुत्र शंभाजी के साथ चतुराई से आगरा क़िले से पलायन किया, जो भारतीय इतिहास की सबसे साहसी घटनाओं में से एक मानी जाती है।
Historical Significance – क्यों महत्वपूर्ण है यह संधि?
- यह संधि बताती है कि राजनीति केवल तलवार से नहीं, चतुर रणनीति से भी चलती है।
- शिवाजी ने अपनी ताकत को बिना सीधे युद्ध के बचाया और समय आने पर फिर से उभर कर सामने आए।
- जयसिंह ने भी बिना रक्तपात के एक बड़ी समस्या को नियंत्रित किया – यह उनकी कूटनीतिक समझ को दर्शाता है।
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Conclusion: Purandar Treaty – A Lesson in Political Foresight
Treaty of Purandar एक उदाहरण है कि किस तरह युद्ध और कूटनीति का संतुलन बनाया जा सकता है। यह सिर्फ एक सैन्य समझौता नहीं, बल्कि मराठा-मुग़ल संबंधों की दिशा बदलने वाला ऐतिहासिक निर्णय था।
शिवाजी ने यह दिखाया कि हारने के बाद भी कैसे विजेता की तरह उभरना संभव है — और यही उन्हें भारत के सबसे महान रणनीतिकारों में शामिल करता है।