The Agriculture Minister himself in the fray to make the vision document of the Department of Agriculture and Horticulture according to the aspirations and needs of the farmers of the state.
देहरादून 24 जून, सूबे के कृषि मंत्री गणेश जोशी द्वारा सर्किट हाउस स्थित उद्यान निदेशालय से वर्चुअल माध्यम से राज्य के सभी 95 विकास खण्डों के किसान प्रतिनिधियों से सीधा संवाद कर कृषि विभाग के वीजन डाक्युमेंट के लिए उनके सुझाव मांगे।
‘‘कृषि एवं बागवानी राज्य के विकास और खुशहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। राज्य के युवाओं को लाभकारी कृषि एवं बागवानी से जोड़ कर पलायन की समस्या को संबोधित किया जा सकता है।’’ यह कहना है राज्य के फौजी कृषि मंत्री गणेश जोशी का। अपने इसी कथन को साकार रूप देने के लिए वह कृषि विभाग का वीजन डाक्युमेंट बनाने में जुटे हैं। इस वीजन डाक्युमेंट को राज्य के किसानों की आवश्यकताओं तथा वास्तविकता के अनुकूल बनाने के लिए देहरादून में बैठे अधिकारियों पर निर्भर रहने के बजाए कृषि मंत्री फील्ड में काम कर रहे जिलास्तरीय अधिकारियों तथा किसानों से सीधा संवाद कर रहे हैं। कल 23 जून को उन्होंने जिलों के सीएचओ, डीएचओ तथा सीएओ की समीक्षा बैठक आहुत की। आज इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए राज्य के सभी 13 जनपदों के सभी 95 ब्लॉक के लगभग साढ़े तीन सौ से अधिक किसानों से सीधा संवाद कर रायसुमारी की।
कृषि मंत्री ने कहा कि इस संवाद कार्यक्रम के प्रति किसनों का जबर्दस्त उत्साह दिखाई दिया है। मेरा पहले दिन से ही यह प्रयास रहा है कि विभाग की योजनाएं राज्य के किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनें। हमारा विभाग और सभी कार्मिक राज्य के किसानों के लिए ज्यादा जवादेही से काम करें। इसलिए आगामी पांच साल की कार्ययोजना को यर्थाथ के करीब रखने के लिए मैं स्वयं फिल्ड के अधिकारियों तथा सीधे किसानों से रायशुमारी कर रहा हूं। किसानों द्वारा बहुत ही शानदार सुझाव दिए गऐ हैं।
उन्होंने कहा कि हम फसल की तैयारी के समय के इनपुट मैनेजमेंट, सिंचाई मैनेजमेंट से लेकर पोस्ट हारवेस्ट क्रॉप मैनेजमेंट तथा किसानों के उत्पादों को सही दाम दिलवाए जाने हेतु मार्केटिंग मैनेजमेंट तथा ‘‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’’ (एपीडा) के सहयोग से विश्वस्तरीय फसल उत्पादों के निर्यात की व्यवस्था को सुद्ढ़ करने पर काम कर रहे हैं।
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वीजन डाक्युमेंट के लिए पांच घंटे तक चली रायशुमारी –
कृषि मंत्री का किसानों के साथ संवाद पूर्व से ही दोपहर 12ः30 बजे से निर्धारित कर दिया गया था। अधिकारियों को उम्मीद थी कि संवाद का यह कार्यक्रम अधिकतम 2-3 घंटे में निपट जाएगा। परंतु जिस प्रकार कृषि मंत्री ने किसानों के द्वारा दिए जा रहे सुझावों को सुनने में रुचि दिखाई उससे यह संवाद लगातर साम 5ः30 बजे तक यानि पूरे 5 घंटे तक चला। और मंत्री द्वारा पुरे समय स्वयं इस संवाद को संचालित किया।
अधिकारियों को बारी बारी से भेजा लंच करने पर नहीं रूका संवाद –
12ः30 बजे से प्रारम्भ हुए संवाद कार्यक्रम के दौरान लगभग 2ः30 बजे आयोजक अधिकारियों द्वारा कृषि मंत्री को लंच की सूचना दी गई। इस पर मंत्री ने कहा कि किसान भाई भी तो ब्लॉकों में बैठ कर मुझसे बात करने के लिए सुबह से बैठे हैं। मैं लंच करने के बजाए पहले संवाद को पूरा करुंगा। हॉ आप लोगों में से कुछ-कुछ लोग बारी – बारी से भोजन कर लीजिए।
कृषि मंत्री को इतने समय तक अपने बीच पा कर अभिभूत रहे किसान –
पहली बार ऐसा हुआ कि किसी नितिगत डाक्युमेंट को बनाने के लिए स्वयं कृषि मंत्री द्वारा इतने लम्बे समय तक किसानों से स्वयं संवाद किया। इस बात से किसान खासे उत्साहित दिखाई दिए। माजरा, बहादराबाद के 85 वर्षीय किसान जीत राम सैनी, धौलादेवी ब्लॉक अल्मोड़ा के मदन बिष्ट, रामगढ़ के विक्रम सिंह तथा नैनीडांडा, पौड़ी के रूपेन्द्र रावत ने मंत्री को कई – कई बार धन्यवाद कर अपनी भावनाएं व्यक्त की। सभी अपनी बात कहने के लिए उत्साहित दिखाई दिए। मंत्री द्वारा किसानों को समझाया गया कि जो लोग बात नहीं कह पाए हैं मैं उनकी राय भी जानना चाहता हूं। लिहाजा आप हमारे जिला स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से अपनी बातें लिख कर मुझे जरूर भिजवाइएगा।
पांच घंटे तक चले मैराथन संवाद में आए ये सुझाव –
जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा किसानों की सबसे बड़ी चिंता थी। फसल सुरक्षा के लिए घेरबाड़ को बढ़ाने तथा इसे सामान्य फेंसिंग के स्थान पर सोलन फेंसिंग किए जाने का सुझाव प्रमुखता से सामने आया।
चकबंदी अनिवार्य तौर पर लागू किए जाने के लिए कई किसानों ने दिया सुझाव।
बीज, खाद, कृषि उपकरणों, लघु सिंचाई उपकरणां, मल्चिंग सीट, एंटी हेलनेट इत्यादि सभी प्रकार की कृषि आगतों पर सब्सिडी बढ़ाए जाने की मांग भी प्रमुखता से उठी।
जनपद स्तर पर मंडियों का निर्माण किए जाने, कोल्ड स्टोरेज तथा मृदा परीक्षण् केन्द्रों की स्थापना का सुझाव भी आया।
उन्नत गुणवत्ता वाले बीजों तथा पौधों की नर्सरी स्थानीय स्तर पर भी विकसित किए जाने का भी आया सुझाव।
कम्पोस्ट खाद को भी निवेश केन्द्रों के माध्यम से बेचने का सुझाव भी आया।
जैविक उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किए जाने से संबंधित सुझाव भी आया।
केसीसी के श्रृण की किस्त को हर 6 माह के स्थान पर संबंधित फसल पकने के समय के अनुरूप ही रखा जाए।
लीची और आम के लिए भी एंटी हेल नेट दिए जाने और कृषि बागवानी विषयों को माध्यमिक स्तर से ही पाठ्यक्रम में सम्मिलित किए जाने का भी आया सुझाव।
सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सोलर पंपों के माध्यम से गधेरों तथा नदियों के पानी को वापस लाने एवं सिंचाई गूलों की मरम्मत का सुझाव भी आया।
इस दौरान कृषि निदेशक कृषि गौरीशंकर, निदेशक उद्यान एचएस बावेजा तथा कृषि एवं उद्यान विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।