देहरादून। प्रात: नितनेम के पश्चात हज़ूरी रागी भाई चरनजीत सिंह जी ने आसा दी वार का शब्द “सतगुरु होइ दइआलु त सरधा पुरिऐ” का गायन किया एवं सेवक परिवार के द्वारा रखे गये श्री अखण्ड पाठ साहिब के भोग डाले गए।
भाई शमशेर सिंह हैंड ग्रंथी ने कहा कि जो इन्सान प्रभु को भुला देते हैं उनके जीवन में किए हुए अपने कर्मों की वजह से हमेशा रोग लगे रहते हैं और उनका जीवन विशे विकारों में फस जाता है जो कत्तक के महीने में गुरु साहिब जी की संगत करते हैं तब जीव चिंता-रोग मुक्त हो जाते हैं, कार्यकर्म में विशेष रूप से गुरुद्वारा साहिब के हजूरी रागी जत्थे भाई चरणजीत सिंह और भाई गुरदियाल सिंह ने ‘कतक करम कमावणे दोस न काहू जोग’ व ‘आगै सुख मेरे मीता,पाछे आनद प्रभ कीता’ का शब्द गायन किया। हैंड ग्रंथी भाई शमशेर सिंह ने सरबत के भले के लिए अरदास की।
प्रधान गुरबख्श सिंह राजन व जनरल सेक्रेटरी गुलज़ार सिंह जी द्वारा संगतों को कत्तक महीने की संग्राद की बधाई दी। दविंद्र सिंह सहदेव व तिलक राज कालरा को सिरोपा भेंट कर सम्मानित किया गया। मंच का संचालन दविंद्र सिंह भसीन ने किया। कार्यक्रम के पश्चात संगत ने गुरु का लंगर व प्रशाद ग्रहण किया। इस अवसर पर सरदार गुरबख्श सिंह जी राजन अध्यक्ष, गुलज़ार सिंह महासचिव, चरणजीत सिंह उपाध्यक्ष, सेवा सिंह मठारु, मंजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह जौली, सतनाम सिंह, सुरजीत सिंह, तिलक राज कालरा, दविंदर सिंह सहदेव,राजिंदर सिंह राजा, गुरनाम सिंह, अविनाश सिंह, अरविंदर सिंह आदि उपस्थित रहे।