- बालिकाओ को आत्मनिर्भर व जिम्मेदार बनना है बेहद जरूरी-रेखा आर्या
- कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर किया “बालिका सुरक्षा राज्य की पहल कार्यक्रम में शिरकत,बालिकाओ के साथ किया संवाद
देहरादून: आज महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालिका सुरक्षा राज्य की पहल कार्यक्रम में बतौर मुख अतिथि प्रतिभाग किया। साथ ही बालिकाओ के साथ विभिन्न संस्थाओं द्वारा संवाद स्थापित किया गया।कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने एक नई पहल करते हुए दीप प्रज्वलन की परंपरा को बदलते हुए सभागार में उपस्थित बालिकाओ से दीप प्रज्ज्वलन करवाया।इस अवसर पर अलग अलग संस्थाओ व स्कूलों से बालिकाओ ने भी प्रतिभाग किया।कार्यक्रम मे विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें बालिकाओ से संबंधित विषयों के ऊपर चर्चा की गई और बालिकाओ के साथ संवाद स्थापित किया गया। कार्यक्रम में पहुंची कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने बालिकाओ को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारी बच्चियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नही है आज वह शिक्षा,स्वास्थ्य, स्वरोजगार, रक्षा सहित कई अन्य क्षेत्रों में लड़कों से भी आगे निकल रही है और अपने राज्य के साथ देश का भी नाम रोशन करने का काम कर रही है।उन्होंने कहा कि आज हमारी बालिकाएं लड़को से किसी भी क्षेत्र में पीछे नही है।उन्होंने कहा कि हमे स्वयं को मजबूत करना चाहिए और अपने लिए एक लक्ष्य स्थापित करना चाहिए और उस लक्ष्य की और अग्रसर होते हुए कार्य करना चाहिए।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि बच्चियों को अपनी शक्ति पहचानने की आवश्यकता है। कहा कि पूर्व में बालिकाओ के प्रति बनी धारणा ने उन्हें पीछे रहने का काम किया ,उन्हें घर की जिम्मेदारी तक ही सीमित कर दिया जाता था।कहा कि आज यह पुरानी व्यवस्था बदल चुकी है आज बालिकाएं हर क्षेत्र में नए नए कीर्तिमान हासिल कर रही हैं।आज बेटियां सामाजिक ताने बाने को बुनने का कार्य कर रही हैं।
कैबिनेट मंत्री ने बेटियो को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आपने मन में ठान लिया और कुछ करने का संकल्प ले लिया तो आप अपने मुकाम तक अवश्य पहुंचेंगे।कहा कि बेटियो को सक्षम व सशक्त बनाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है।हमने नंदा गौरा योजना,महालक्ष्मी योजना,वन स्टॉप सेंटर सहित कई योजनाएं बेटियो के लिए चलाई हैं। रेखा आर्या ने कहा कि बेटियां सब के नसीब में नही होती हैं जो घर ईश्वर को पसंद है वहां होती है। उन्होंने कहा मासिक धर्म को लेकर शर्म, गरीबी और मासिक धर्म के दौरान भेदभाव करने वाली सोच की वजह से महिलाओं और बालिकाओं के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। हमें अपनी सोच बदलनी होगी तभी हम अपने जीवन को साकार कर सकते हैं। हमें महावारी का अवसाद को जीवन से निकालना होगा यह प्राकृतिक रूप से ईश्वर ने दी है। हमें इस दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान देना होगा। हमें प्रोटीन, आयरन युक्त भोजन के लिए बेटियों को विशेष ध्यान देना होगा। साथ ही कहा कि जिस प्रकार से उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है उसी प्रकार हमारी कोशिश है कि इसे देवियो की भूमि के नाम से भी जाना जाए। इस अवसर पर बालिकाओ को स्वास्थ्य व सुरक्षा किट का भी वितरण किया गया।
वहीं कार्यक्रम में उपस्थित बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य दीपक गुलाटी ने अपने संबोधन में बालिकाओ को राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुभकामनाएं दी । उन्होंने कहा कि अगर आप अपने मन मे कुछ करने की ठान ले तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। साथ ही कहा कि आज बेटियां बेटो से किसी भी मामले में पीछे नही हैं।आज हर क्षेत्र में बेटियां लगातार आगे बढ़ रही हैं। कहा कि इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य देश की लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। हमारे समाज लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा कम आंका जाता है। उन्हें पढ़ने के अवसर नहीं मिलते, वक्त से पहले शादी करा दी जाती है और फिर बच्चे की जिम्मेदारी ऐसे में समाज को शिक्षित और जागरूक करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होते रहना चाहिए।
वहीं साइबर क्राइम के सीओ अंकुश मिश्रा ने इस अवसर पर बालिकाओ को साइबर क्राइम के बारे में अवगत कराया।कहा कि किसी भी प्रकार के साइबर क्राइम होने पर उसकी सूचना वेबसाइट पर देने के साथ ही अपने निकटवर्ती थाने में अवश्य दे ।
इस अवसर पर सचिव हरि चंद्र सेमवाल, बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य दीपक गुलाटी जी,सीओ साइबर क्राइम अंकुश मिश्रा जी, डीपीओ मोहित चौधरी जी,बाल विकास विभाग की नोडल अधिकारी आरती बलोदी जी,मनोचिकित्सक डॉ प्रतिभा सहित विभागीय अधिकारी एवं स्कूली व संस्थाओ की बालिकाएं उपस्थित रहीं।