ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सान्निध्य व मार्गदर्शन में परमार्थ निकेतन, नमामि गंगे व अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ। गंगा जी की आरती के माध्यम से पौधारोपण के संदेश के साथ सभी पुरोहितों को रूद्राक्ष के पौधे माँ गंगा के आशीर्वाद स्वरूप दिये गये। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने गंगा आरती प्रशिक्षण में सहभाग करने आये प्रतिभागियों को नदियों के संरक्षण हेतु सामाजिक चेतना जागृत करने तथा पूरे समाज को साथ लेकर चलने का संदेश दिया। स्वामी ने कहा कि पुरोहित, प्रकृति के पुरोधा बनकर यहां से जाये ताकि हमारी संस्कृति भी सुरक्षित रहे, प्रकृति भी सुरक्षित रहे और संतति भी सुरक्षित रहे।
साथ ही सभी घाटों से एकता व समरसता का संदेश जाये; जातिवाद की दीवारें न हो तथा चारों ओर समता का वातावरण बना रहे। स्वामी ने कहा कि हिन्दू धर्म में तो जन्म से लेकर जीवन की अंतिम यात्रा भी नदियों की गोद में ही पूरी होती है। प्रकृति और नदियां ईश्वर का एक अनमोल खजाना है इसे सहेजने के लिये सशक्त कदम उठाने होंगे। संपूर्ण मानव इतिहास के अस्तित्व को बनाये रखने में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान है। नदियाँ हमारी महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं और वे मानवता के लिये भी आवश्यक है इसलिये नदियों को संरक्षित रखना हम सबका कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि जब तक हम नदियों के प्रति जागरुक नहीं होंगे तब तक नदियों को स्वच्छ नहीं रखा जा सकता। हम सभी को नदियों को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त रखने हेतु पहल करनी होगी ताकि नदियों को पूरी तरह से स्वच्छ किया जा सके। नदियों का निर्मल जल हमारा बहुमूल्य खजाना है इसलिये उसके अंधाधुंध दोेहन को रोकना होगा। स्वामी ने नमामि गंगे की अद्भुत पहल हेतु भारत के ऊर्जावान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नमामि गंगे के महानिदेशक अशोक कुमार को साधुवाद देते हुये कहा कि नमामि गंगे व अर्थ गंगा भारत सरकार की अद्भुत पहल है परन्तु जनसहभागिता के बिना इसे सफल नहीं किया जा सकता इसलिये सबका साथ और सहयोग अत्यंत आवश्यक है। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने अपने – अपने तटों पर आयोजित कार्यक्रमों के विषय में जानकारी प्रदान की। साथ ही घाटों को बेहतर बनाने हेतु जो आवश्यकतायें हैं उन्हें भी साझा किया।
बक्सर से आये सतीश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि गोला घाट, श्री रानी सती मंदिर के पास गंगा जी की आरती तो हम पीढ़ियों से करते आ रहे हैं परन्तु परमार्थ निकेतन आरती के घाट पर राष्ट्रगान का दृश्य व देशभक्ति के नारे देखकर मैं धन्य हो गया। पूज्य स्वामी जी ने हम सभी को संदेश दिया कि देव भक्ति अपनी-अपनी परन्तु देशभक्ति सभी मिलकर करे, इसकी मैं गोला घाट पर भी अवश्य शुरूआत करूंगा। चम्पावत से आये पंकज तिवारी ने कहा कि वे पूर्णागिरि घाट पर आरती कराते है परन्तु परमार्थ निकेतन की आरती का तो दृश्य ही अद्भुत है। हम तीन दिनों से देख रहे हैं यहां से प्रतिदिन स्वामी जनजागरूकता का संदेश देते हैं जो कि सभी को प्रभावित भी करता है। प्रशिक्षण के माध्यम से भी हमने जाना कि आरती को जनजागरण का केन्द्र किस प्रकार बना सकते हैं। यह प्रशिक्षण सभी के लिये अत्यंत आवश्यक है। भारत के पांच राज्य उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल के कई घाट यथा मुक्तेश्वर घाट, साहिबगंज, ओम घाट फतेहपुर, उत्तरप्रदेश, गोला घाट (श्री रानी सती मंदिर के पास), रसलपुर घाट, शारदा घाट, टनकपुर, महुली घाट, भोजपुर, सिन्हा घाट, सोझी घाट, गर्ग घाट, मरचैया डेरे, चीतनाथ घाट, पक्का घाट भिटौरा, उत्तर प्रदेश, आदमपुर फतेहपुर, खुशरूबाग आदि से 35 से अधिक प्रतिभागियों ने तीन दिवसीय कार्यशाला में विधिवत गंगा जी के प्रति जागरूकता और आरती का प्रशिक्षण लिया।