(Information related to agriculture and horticulture will reach the farmers through social media)
कहा-कृषकों तक सोशल मीडिया के माध्यम से पहुंचेगी कृषि एवं बागवानी से सम्बंधित जानकारियां
देहरादून 22 अप्रैल, उत्तराखण्ड के आई0सी0ए0आर0 क्षेत्रीय समिति की 27 वीं बैठक में कृषि एवं बागवानी विभाग उत्तराखण्ड से सम्बन्धित सुझावों एवं समस्याओं पर कृषि मंत्री ने बैठक में अपना पक्ष रखा। यह बैठक वर्चुअल रुप से आयोजित हुई और मंत्री जोशी सहित हिमाचल, जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के कृषि मंत्री एवं उनके प्रतिनिधि उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय पशुपालन, मत्य एवं डेयरी मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला ने की।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली स्थानीय फसलों का विशेष महत्व हैं, तथा क्षेत्र विशेष के अनुरूप इन फसलों में विशिष्ट लक्षण ही पाये जाते है। जैसे हर्षिल चकराता व मुनस्यारी की राजमां उत्तरकाशी का लाल धान चकराता एवं नैनीताल का मक्का आदि इन फसलों का संरक्षण एवं प्रोत्साहन किए जाने की आवश्यकता है। कृषि विभाग द्वारा स्थानीय फसलों के बीजों को बीज श्रृंखला में सम्मिलित करने हेतु जी0आई0 टैग (भौगोलिक पहचान) प्रदान कराये जाने का प्रयास किया जा रहा है,जिसके क्रम में मुनस्यारी राजमा को जी0आई0 टैग भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जा चुका है, तथा अन्य 11 फसलों तथा लाल धान, बेरीनाग चाय, गहत, मडुआ, झंगोरा, काला भट्ट, बुरास, शरबत, चौलाई/रामदाना, अल्मोडा लखोडी मिर्च, पहाडी तोर दाल और माल्टा फ्रूट में जी0आई0 टैग प्रदान किये जाने हेतु कार्यवाही गतिमान है। शोध संस्थानों द्वारा उक्तानुसार स्थानीय फसलों की विशेषताओं को संरक्षित रखते हुए इन्हें ट्रुथफुल लेवल (टीएल) सीड्स के रूप में बीज श्रृंखला में लाये जाने हेतु आवश्यक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। पर्वतीय क्षेत्रों हेतु संकर धान तथा महीन धान प्रजाति विकसित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होनें जैविक खाद, प्रभारी जैविक कीटनाशक, जंगली जानवरों की समस्या को भी बैठक में रखा।
उन्होंने आईसीएआर द्वारा किये गये शोध पर कहा कि उत्तराखण्ड जैविक प्रदेश की तरफ अग्रसर है और प्रदेश के 10 विकासखण्डों को जैविक ब्लाक बनाया गया है। उन्होंने सर्वे से ज्ञात हुआ है कि उत्तराखण्ड में चावल और मक्का उत्पादन में कमी है, इसके लिए मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को कार्ययोजना बनाये जाने के निर्देश दिये। केन्द्रीय पशुपालन मंत्री द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्रों में पशुपालन मोबाईल टीम लगाये जाने पर मंत्री ने कहा कि यह अत्यधिक लाभकारी निर्णय साबित होगा। उन्होनें आईसीएआर के शोध में ज्ञात हुए उत्तराखण्ड में कृषि और बागवानी से सम्बन्धित सूचनाओं को भौतिक रुप के साथ-साथ सोशल मीडिया के माध्यम से भी कृषकों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।
बैठक में उत्तराखण्ड की ओर से कृषि मंत्री के साथ कृषि निदेशक गौरीशंकर ने भी प्रतिभाग किया।