ईस्ट देव चितई गोलू देवता मंदिर
देवभूमि में अनेकों प्रतिष्ठित देवता हैं, अगर हम बात करें की कुमांऊँ की तो गोल्जयू, सैम, हरू, ऐड़ी, गंगनाथ आदि देवता हैं ये सभी देवता मध्यकाल के उदार और आशीर्वादवादी देवता माने जाते हैं जो अपने-अपने सीमाओं में विजय कर देवता के समान प्रतिष्ठित हुए।
(Golu Devta Mandir)
उन्हीं में से एक गोलू देवता है जो न्याय के देवता माने जाते हैंं, वह शाररीक और मानसिक बाधाओं को दूर कर आध्यात्मिक सुख को प्रदान करने के लिए विख्यात हैं। गोलू देवता कुमाऊँ में सर्वाधिक प्रसिद्ध देवता हैं।
कुमाऊँ में गोलू देवता के तीन सबसे प्रचलित मंदिर हैं-
1. चितई गोलज्यू मंदिर
2. घोड़ाखाल मंदिर
3.गोलज्यू की जन्मस्थली, चम्पावत मंदिर
1़. चितई गोलज्यू मंदिर-यह मंदिर अल्मोड़ा कलेक्ट्रेट से दन्या-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर 6 किमी0 दूरी में स्थित है। यह पर समूचे देश से लोगों की आस्था का प्रतीक है, वैसे तो इसके निमार्ण के कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलते हैं परन्तु कुछ स्थानों पर चितई गोलज्यू मंदिर का 1909 में पुननिर्माण हुआ माना जाता है।
चितई गोलज्यू मंदिर केे गर्भगृह में गोलू देवता अपने घोडें पर सवार हैं और धनुष पर बाणा चड़ाए हुए हैं और अपने राजसी वस्त्र धारण किये हुए हैं। साथ ही माता कालिका भी विराजमान है। इस मंदिर के द्वार पर गोलज्यू कलुवा व मासाण भी गोलज्यू की सेवा में तैनात हैं।
चितई गोलज्यू मंदिर में गोलू देवता के प्रतिनिधिगौर-भैरवकी पूजा की जाती है।
चितई गोलज्यू मंदिर का आकार अष्टकोणीय तथा इसके परांगण में लाखों छोटी-बड़ी घंटीयाँ है।
लोकमान्यताओं के अनुसार चितई गोलज्यू मंदिर में घंटीयाँ और त्रिशूल चड़ावे से लोगोे की मनोकामनाऐं पूर्ण हो जाती हैं। भूतकाल में चितई गोलज्यू मंदिर में बकरे की बली या चड़ावा भी चड़ता था जो कलांन्तर में प्रतिबंधित कर दी गई।
मंदिर के आगन में धूनी बनी हुई है जिसमें अनगिनत त्रिशूल गड़े हुए हैं, मंदिर परांगण में लगे तार पर हजारों-हजार न्याय के लिए कागज पर लिखी चिट्ठीयों लगी हुई हैं जिनमें न्याय मिलने पर अपने दिये हुए वचन को पूरा का ब्यौरा लिखा होता है।