बागेश्वर 12 अक्टूबर। विकासखंड़ गरूड़ के सी-मेप शोध केंद्र पुरड़ा में जडी-बूटी व सगंध पौध उत्पादन पर आधारित कार्यशाला आयोजित हुई। जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि उत्तराखण्ड के आर्थिक विकास में औषधीय एवं सगन्ध पौधों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह पर्वतीय राज्य आदि काल से ही औषधीय एवं सगन्ध पौधों में प्राकृतिक रूप से समृद्ध रहा है।
विषम परिस्थितियों में औषधीय एवं सगन्ध पौधों का संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास हेतु वृहद स्तर पर कलस्टर के रूप में कृषिकरण किया जाना अति आवश्यक है। इसके लिए सामूहिक रूप से सतत् प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा यह कार्यशाला अपने उद्देश्यों में सफल होगी तथा जनपद में औषधीय एवं सगन्ध पौधों के कृषिकरण के विकास के साथ-साथ इससे सम्बन्धित विभागों व क्षेत्रों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगी। नये कृषिकों को बाजार की उपलब्धता तथा बाजार दर आदि को ध्यान में रखते हुए जड़ी-बूटी का कृषिकरण प्रारम्भ करना चाहिए, जिससे उनकी आर्थिकी मजबूत होगी। सरकार ने इसके विकास के लिए नीति बनायी गयी है। यह कार्यशाला औषधीय एवं सगन्ध पौधों के कृषिकरण में सहायक होगी तथा जड़ी-बूटी कृषकों के लिये विशेष लाभकारी सिद्ध होगी। उन्होंने संबंधित विभागों से अधिक से अधिक लोंगो को जडी-बूटी व सगंध पौध उत्पादन के लिए जागरूक करने के निर्देश दिए।
कार्यशाला में काश्तकारों द्वारा जड़ी बूटी व सगन्ध पौध उत्पादन के सम्बन्ध में कृषकों के साथ विचार विमर्श करते हुए समस्त प्रकार की जानकारियॉ प्रदान की गयी। बता दे कि विकासखंड गरूड़ चैरसों गांव निवासी कृषक चंद्रशेखर पांडे के साथ ही कपकोट क्षेत्र के कृषकों द्वारा विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों का उत्पान कर अपनी आर्थिक आय में वृद्धि की जा रही है। जिलाधिकारी ने कृषकों को पहाड़ की जलवायु में उगाई जाने वाली जड़ी बूटियों में मूल्य संवर्धन करके इसे आजीविका का नया साधन बनाने के बारे में सुझाव दिया गया। मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी द्वारा उपस्थित कृषकों को इंटीग्रेटेड फार्मिंग से जुड़ने के लिए कहा गया।
कार्यशाला में सिमैप के प्रभारी डॉ आरसी पडलिया द्वारा सिमैप की विभिन्न गतिविधियों, तकनीकी अधिकारी द्वारा औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती तथा डॉ. दीपेन्द्र कुमार एवं डा. वी वेंकटेश केटी के द्वारा कैमोमाइल व ऑरेगैनो की विस्तृत खेती के बारे में अवगत कराया गया। कार्यक्रम के समापन के दौरान कृषकों को शोध फार्म के क्षेत्र का प्रदर्शन कराया गया तथा इसके साथ-साथ उत्पाद बनान हेतु ट्रेनिंग भी दी। कार्यशाला में मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी, परियोजना निदेशक शिल्पी पन्त, जिला विकास अधिकारी संगीता आर्या, ज्येष्ठ ब्लाॅक प्रमुख हरीश मेहरा, लीड बैंक अधिकारी एनआर जौहरी, मुख्य कृषि अधिकारी गीतांजलि बंगारी, जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह सहित अन्य अधिकारी व तीनों विकास खण्डों के कृषकों द्वारा प्रतिभाग किया।