अल्मोड़ा। उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या है. यहां पहाड़ों के कई गांव वीरान हो चुके हैं. 2017 में बनाए गए पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के करीब 1000 गांव घोस्ट विलेज (GHOST VILLAGE) बन चुके हैं. आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर सबसे ज्यादा पलायन हुआ है. सबसे ज्यादा युवाओं ने पलायन किया है. वहीं, कुछ लोग आज भी पहाड़ों और अपनी विरासत में मिली संस्कृति को बचाने की दिशा में काम कर रहे हैं. आईटी सेक्टर में बेहतर पैकेज की नौकरी छोड़ अल्मोड़ा के कमल पांडे ने साबित कर दिखाया है कि अगर आपके भीतर चाह है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं. कमल ने अपनी मित्र नमिता के साथ मशरूम की खेती की और इससे कई तरह के उत्पाद बनाकर यहीं रहकर इसे आजीविका का जरिया बनाया है. वहीं, उन्होंने कई लोगों को भी रोजगार से जोड़ा है.
कमल पांडे ने बताया कि वह मशरुम से चटनी, अचार, हर्बल टी समेत कई उत्पाद बना रहे हैं. इसके अलावा पहाड़ के उत्पाद को बढ़ाने का भी काम कर रहे हैं. वह कई लोगों को इससे जोड़ चुके हैं. वर्तमान में उनके उत्पाद उत्तराखंड के अलावा कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा आदि में भी भेजे जा रहे हैं.
मुश्किलें आईं, लेकिन हार नहीं मानी
मशरूम को आधुनिक तकनीक से आजीविका बनाने वाले कमल और नमिता अल्मोड़ा के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं. कमल और नमिता ने बताया कि शुरुआत में उन्हें काफी मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. आज उनके उत्पादों को काफी पसंद किया जा रहा है. कमल पांडे ने कहा कि उत्तराखंड के गांवों से जितने युवा रोजगार के लिए बाहर जा रहे हैं, उनको भी आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ स्वरोजगार के लिए प्रेरित करेंगे और गांव में रहकर ही युवा बेहतर कर पाएंगे.
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अल्मोड़ा शहर में कमल और नमिता की हर कोई तारीफ कर रहा है क्योंकि अपने गांव से दूर जाकर एक अच्छी नौकरी पाना बेहद मुश्किल काम है, लेकिन उस नौकरी को छोड़कर गांव वापस आना और अपना स्वरोजगार शुरू कर दूसरों को भी रोजगार देना उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है.