प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, कन्या गुरुकुल परिसर, देहरादून द्वारा हेलेनिक इंडियन सोसायटी फॉर कल्चर एण्ड डेवलपमेन्ट के अध्यक्ष एवं एथेन्स सेंटर फार इंडियन एण्ड इंडो-हेलेनिक स्टडीज के निदेशक डा. दिमित्रियोस वासिलियादिस के एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। डा. वासिलियादिस ने भारत-यूनान सांस्कृतिक संबन्धों पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पुर्व एवं पश्चिम का प्रतिनिधित्व करने वाली दोनो संस्कृतियां प्रारम्भ से एक दूसरे के सम्पर्क में रही है।
इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होने भारत के विषय में लिखने वाले यूनानी लेखको स्काइलेक्स, टेसियस, हेरोडोटस, ओनेसिक्रिटस, मेगस्थनीज, प्लूटार्क, एरियन आदि की कृतियों, अभिलेखों, मौद्रिक एवं कलात्मक साक्ष्यों का सन्दर्भ देते हुए बताया कि किस प्रकार भारतीय एवं यूनानी संस्कृतियों ने साहित्य, कला, भाषा, औषधि-विज्ञान, ज्योतिष, दर्शन आदि क्षेत्रों में एक दूसरे को प्रभावित किया।

उन्होने भारत में रहकर ४७ वर्षों तक भारतीय एवं यूनानी संस्कृति के अध्ययन के क्षेत्र में कार्य करने वाले दिमित्रिओस गालानोस, टार्न, ए. के. नारायण, यू. पी. अरोरा जैसे समसामयिक विद्वानों के योगदान पर भी चर्चा कीI प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग की अध्यक्षा डा. रेनू शुक्ला ने कहा कि पूर्व एवं पश्चिम का प्रतिनिधित्व करने वाली दोनो संस्कृतियां प्रारम्भ से एक दूसरे के सम्पर्क में रही है। भारत और यूनान के अनेक विद्वान विभिन्न क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग करते हुए अनेक परियोजनाओं पर एक साथ कार्य कर रहे है। प्रधानमंत्री की 2023 की यूनान यात्रा ने इसे प्रोत्साहित किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. रेनू शुक्ला, संचालन डा. अर्चना डिमरी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सीमा द्वारा एवं आयोजन में सहयोग डा. रेखा राजपूत, डा. अन्जूलता की आयोजन समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर कन्या गुरुकुल परिसर की समन्वयक प्रो. हेमन पाठक ने व्याख्यान पर अपने विचार व्यक्त किये एवं अतिथियों, प्राध्यापिकाओं प्रो. निपुर सिंह, प्रो. नीना गुप्ता, डा. सविता, डा. रीना वर्मा, डा. बबीता, डा. ममता, डा. सरिता एवं छात्राओं ने विचार विमर्श में सक्रिय भागीदारी की।