प्रवासी उत्तराखंडी भी अपने अपने घरो में, अपने अपने जहां प्रवासी उत्तराखंडियों का मंडल, संस्था है वाहा भी गणेश जी प्रतिमा लेकर गणेश पूजन करते हैं | मुंबई महाराष्ट्र मुख्य 7 सितंबर से गणेशोत्सव की तैयारी जोर सोर से शुरू होने वाली हैं जिसमें सालो प्रवासी उत्तराखंडी भी बढ़ चढ़ कर हिसा लेते हैं | भगवान गणेश का त्यौहार, जिसे गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र, भारत में अत्यधिक पूजनीय और मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह 10 दिवसीय त्यौहार है जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है। यहाँ एक संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
- महाराष्ट्र का गणेश महोत्सव राज्य में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्यौहारों में से एक है।
- यह त्यौहार भगवान गणेश, बाधाओं को दूर करने वाले और ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के संरक्षक देवता का सम्मान करता है।
- घरों, मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों (अस्थायी मंदिरों) में गणेश की मूर्तियों की स्थापना के लिए विस्तृत व्यवस्था के साथ, तैयारियाँ पहले से ही शुरू हो जाती हैं।
- पहले दिन, भक्त गणेश की मूर्तियाँ घर लाते हैं, और “प्राणप्रतिष्ठा” नामक एक अनुष्ठान करते हैं, जिसमें मूर्ति में देवता की उपस्थिति का आह्वान करना शामिल है।
- गणेश को दैनिक पूजा (पूजा सेवाएँ) और प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसमें मोदक और लड्डू जैसी उनकी पसंदीदा मिठाइयाँ शामिल हैं।
- इस त्यौहार के अंतिम दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, जुलूस और विसर्जन समारोह (गणेश विसर्जन) भी होते हैं, जहाँ मूर्तियों को जल निकायों में विसर्जित किया जाता है, जो जन्म, विकास और विलय के चक्र का प्रतीक है।
- गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र में एक जीवंत और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव है, जो राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भगवान गणेश के प्रति भक्ति को दर्शाता है।
यह पोस्ट/लेख महाराष्ट्र से हमारे पाठक भगत सिंह रावत जी ने भेजी है।