देहरादून। आगामी 28 अक्तूबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। यह चंद्र ग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन लगेगा। धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण जब लगता है तो इस विशेष प्रभाव सभी लोगों के ऊपर रहता है। ग्रहण से पहले सूतक काल लगता है। सूर्य ग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण में 9 घंटे पहले लग जाता है। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की वैदिक पंचांग के अनुसार यह चंद्र ग्रहण आश्विन माह के पूर्णिमा तिथि, अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में लगेगा। साल का यह आखिरी ग्रहण भारतीय समयानुसार शनिवार, 28 अक्तूबर की रात से शुरू हो जाएगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 03 घंटा 07 मिनट तक रहेगी। ग्रहण लगने से पहले सूतक काल मान्य होगी क्योंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा इस कारण सूतक काल मान्य रहेगा। ग्रहण भारत में प्रभावी होने की वजह इस ग्रहण का प्रभाव सभी राशि के जातकों के ऊपर जरूर पड़ेगा।
चंद्रग्रहण सिर्फ और सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण घटना है। साल का अंतिम चंद्रग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है ऐसे में इस दिन ग्रहण लगना बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस साल का अंतिम चंद्रग्रहण मेष राशि में लगने जा रहा है। ग्रहण का असर सभी राशियों पर दिखाई देने वाला है। साल का अंतिम चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर शनिवार के दिन लगने जा रहा है। यह ग्रहण देश के कई हिस्सों के साथ साथ भारत में भी दिखाई देगा। इसलिए इसका सूतक काल भारत में भी मान्य रहेगा। चंद्रग्रहण का सूतक ग्रहण के 9 घंटे पूर्व से शुरु हो जाता है।
चंद्रग्रहण 28 तारीख देर रात 1 बजकर 5 मिनट से लेकर 2 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। यानी यह ग्रहण 1 घंटा 18 मिनट का रहेगा। इस दौरान पूरे भारत में चंद्रमा उदय हो जाएगा। 28 अक्टूबर को शाम में 4 बजकर 6 मिनट पर चंद्रोदय हो जाएगा। भारतीय समयअनुसार, चंद्रग्रहण का सूतक शाम में 4 बजकर 5 मिनट पर आरंभ हो जाएगा। इस ग्रहण में चंद्रबिम्ब दक्षिण की तरफ से ग्रस्त होगा।
चंद्रग्रहण भारत, ऑस्ट्रेलिया, संपूर्ण एशिया, यूरोप, अप्रीका, दक्षिणी-पूर्वी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, कैनेडा, ब्राजील , एटलांटिक महासागर में यह ग्रहण दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण शुरुआत से अंत तक दिखाई देगा।
चंद्रग्रहण का सूतक शाम में 4 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा। इस दौरान आपको स्नान, दान, पु्ण्य कार्य, हवन और भगवान की मूर्ति का स्पर्श नहीं करना चाहिए। आप चाहें तो इस समय आप अपनेगुरु मंत्र, राहु और चंद्रमा के मंत्रों का जप कर सकते हैं। हालांकि, सूतक काल में गर्भवती स्त्री, बच्चे, वृद्ध जन भोजन कर सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें दोष नहीं लगेगा। ध्यान रखें की सूतक काल आरंभ होने से पहले खाने पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दें। इसके अलावा आप इसमें कुश भी डाल सकते हैं।
भारतीय मानक समयानुसार, चंद्र ग्रहण का बिल्कुल शुरुआती चरण 28 अक्टूबर की रात 11.30 बजे से आरंभ हो जाएगा और देर रात 2 बजकर 24 मिनट पर खत्म होगा। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की 30 अक्टूबर को राहु-केतु का राशि परिवर्तन होगा। फिर 4 नवंबर को शनि देव का कुंभ राशि में मार्गी होंगे।