• Latest
-

हिंदी भाषा को देश के कोने-कोने तक पहुंचने में हिंदी संगीत का बहुत बड़ा योगदान

-

बड़ी खबर- कल साम 04 बजे देहरादून में 05 जगहों पर की जाएगी माक ड्रिल

-

मंत्री गणेश जोशी ने मसूरी विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा की

Satpal maharaj 02

GMVN की बुकिंग पहुंची बारह करोड़ के पार

-

उत्तराखंड सरकार द्वारा नव‌नियुक्त बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी तथा उपाध्यक्ष विजय कपरवाण ने कार्यभार ग्रहण किया

-

उपनलकर्मी धनवीर सिंह नेगी के परिजनों को सहायता राशि का चैक सौंपते सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी

-

देश के खेल इतिहास में “आइस ब्रेकिंग” मूवमेंट है आइस रिंक का जीर्णोद्धार : रेखा आर्या

-

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का उत्तराखंड आगमन पर स्वागत करते गणेश जोशी

-

केन्द्रीय मंत्री ग्रामीण विकास शिवराज सिंह चौहान कल ऋषिकेश में किसानों से करेंगे संवाद

Retail
  • देश
  • राज्य
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • पंजाब
    • छत्तीसगढ़
    • झारखंड
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • हिमाचंल प्रदेश
    • हरियाणा
    • महाराष्ट्र
  • उत्तराखंड
    • कुमाऊं
      • अल्मोड़ा
      • चम्पावत
      • उधम सिंह नगर
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • बागेश्वर
    • गढ़वाल
      • उत्तरकाशी
      • चमोली
      • देहरादून
      • टिहरी गढ़वाल
      • पौड़ी गढ़वाल
      • रुद्रप्रयाग
      • हरिद्वार
  • राजनीति
  • धर्म संस्कृति
  • शिक्षा/रोजगार
  • वायरल
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • दुनिया
  • संपादकीय
No Result
View All Result
  • देश
  • राज्य
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • पंजाब
    • छत्तीसगढ़
    • झारखंड
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • हिमाचंल प्रदेश
    • हरियाणा
    • महाराष्ट्र
  • उत्तराखंड
    • कुमाऊं
      • अल्मोड़ा
      • चम्पावत
      • उधम सिंह नगर
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • बागेश्वर
    • गढ़वाल
      • उत्तरकाशी
      • चमोली
      • देहरादून
      • टिहरी गढ़वाल
      • पौड़ी गढ़वाल
      • रुद्रप्रयाग
      • हरिद्वार
  • राजनीति
  • धर्म संस्कृति
  • शिक्षा/रोजगार
  • वायरल
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • दुनिया
  • संपादकीय
No Result
View All Result
Devbhoomisamiksha Logo
No Result
View All Result

हिंदी भाषा को देश के कोने-कोने तक पहुंचने में हिंदी संगीत का बहुत बड़ा योगदान

by Mukesh Joshi
November 4, 2023
in देहरादून
0
-


देहरादून 04 नवंबर। विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के आठवें दिन के कार्यक्रम की शुरूआत दून लाइब्रेरी में ठुमरी के सफर पर एक एक चर्चा से शुरू हुआ, जिसमें के एल पांडेय द्वारा 1902 से 2023 तक के ठुमरी के सफर को विस्तार से बताया गया। उन्होंने कहां हिंदी भाषा को देश के कोने-कोने तक पहुंचने में हिंदी संगीत का बहुत बड़ा योगदान है। दून लाइब्रेरी में चर्चा के दौरान उन्होंने अपनी पूरी जीवन की कहानी बताई कि कैसे -कैसे उन्होंने रेलवे में वारिष्ट अधिकारी से लेकर कवि बनने तक का सफ़र पूरा किया । के एल पांडेय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी तक 92 कांफ्रेंस ठुमरी के उपर कर चुके हैं। आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभांरंभ रीच विरासत के महासचिव श्री आर.के.सिंह एवं अन्य सदस्यों ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में राहुल और रोहित मिश्राजी द्वारा खयाल गायकी प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने राग पूरिया धनाश्री में बंदिश से शुरुआत की और फिर उन्होंने एक ठुमरी और एक दादरा के बंदिश प्रस्तुत किया। हारमोनियम पर सुमित मिश्रा और तबले पर मिथिलेश झा ने सगत दी।


राहुल और रोहित मिश्राजी बनारस संगीत घराने के दो सबसे प्रतिष्ठित परिवारों में से हैं। उनके दादा स्वर्गीय पंडित बैजनाथ प्रसाद जी सारंगी के बनारस घराने के प्रसिद्ध कलाकार थे और नाना स्वर्गीय पंडित शारदा सहाय (तबले की बनारस शैली के संस्थापक पं. राम सहाय के वंशज) थे। दोनो प. त्रिलोक नाथ मिश्र के पुत्र हैं, और महान स्वर्गीय पद्म विभूषण गिरिजा देवी जी के शिष्य है, जो स्वयं इनके परदादा स्वर्गीय पंडित सरजू प्रसाद मिश्र की शिष्या थीं। राहुल और रोहित को बनारस घराने के विशिष्ट हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अधिकांश रूपों में पेशेवर रूप से प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें ख्याल, ठुमरी, टप्पा, दादरा, चैती, कजरी, होरी, भजन आदि शामिल हैं।


राहुल और रोहित दोनों भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से राष्ट्रीय छात्रवृत्ति धारक हैं, और पीआरएसएसवी लंदन और वाराणसी में विजिटिंग वोकल क्लासिकल फैकल्टी का हिस्सा हैं। राहुल के आईटीआईडीए साथ बैंड ’देस परदेस’ के सह-संस्थापक थे, जो प्रसिद्ध ए.आर. रहमान की संगीत कंपनी “क्यूकी “का हिस्सा बनने वाला पहला अंतर्राष्ट्रीय फ्यूजन बैंड था। राहुल मिश्रा उस लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं जिसे उनके दादा पं.शारदा सहाय ने शुरू किया था, ’हर एक को सिखाओ!’ जिसके माध्यम से वह उन लोगों को मुफ्त संगीत शिक्षा देते हैं जो संगीत सीखने में आर्थिक रुप से सक्षम नहीं हैं और उनका भविष्य उज्ज्वल है और साथ ही वे विदेशी कलाकारों को भारतीय शास्त्रीय और पश्चिमी संगीत की समानता और विकास के संयोजन की शिक्षा देते हैं। उनके पास प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से प्रवीण की डिग्री भी है और उन्हें सुर सिंगार संसद-मुंबई से ’सुर मणि’ से सम्मानित किया गया है। सांस्कृतिक कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में वडाली ब्रदर्स ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया, वडालीब्रदर्स के एक झलक पाने के लिए डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम में हजारो कि संख्यामें लोग पहुचें एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया। वडाली ब्रदर्स सूफी, रोमांटिक लोक गीत, ग़ज़ल, भजन और भांगड़ा पर अपनी प्रसतुतियां दी। उन्होंने अपनी प्रस्तुति कि शरूआत उनहोंने सूफी बंदिश…“जब तेरी दीद हुई, मेरी ईद हुई“ बाबा फरीद शाह का एक और सूफी कलाम, “तेरा नाम..“ और भी बहुत कुछ प्रस्तुतियां दी।
संगत में कलाकार वडालियों जी के साथ कीबोर्ड पर मुनीष मन्नू, सैंपलर पैड पर राजिंदर कुमार, तबले पर असलम, ढोलक पर राकेश कुमार, ढोल पर अश्वनी, गिटार पर अजय नेगी थे, गायन में जयकरण, सुभाष, गगनदीप, मौसम और अजय कुमार ने सहयोग दिया।
वडाली ब्रदर्स-इस नाम को संगीत जगत में किसी परिचय की जरूरत नहीं है। इसमें मूल रूप से भाई पूरनचंद जी वडाली और प्यारेलाल जी वडाली थे जो की अमृतसर में गुरु की वडाली के सूफी गायक और संगीतकार थे, लेकिन प्यारेलाल वडालीजी के अप्रत्याशित निधन के कारण, अब लखविंदर इस परंपरा को जीवित रखने में अपने पिता पद्मश्री पूरनचंद जी वडाली के साथ शामिल हो गए हैं। सूफी संतों के संदेशों को गाने वाली संगीतकारों की पांचवीं पीढ़ी है, वडाली भारतीय सूफी, लोक और लोकप्रिय संगीत में एक जाना पहचाना नाम है। उनके पिता, ठाकुर दास वडाली ने पूरनचंदजी को संगीत सीखने के लिए प्रेरित किया। पूरनचंदजी ने पटियाला घराने के उस्ताद बड़े गुलाम अली खान जैसे प्रसिद्ध उस्तादों से संगीत की शिक्षा ली। प्यारेलालजी को उनके बड़े भाई ने प्रशिक्षित किया था, जिन्हें वे अपनी मृत्यु तक अपना गुरु मानते रहे। लखविंदर को अपने पिता पूरन चंद वडाली से शास्त्रीय संगीत में व्यापक प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
वडाली ब्रदर्स ने संगीत की गुरबानी, काफ़ी, ग़ज़ल और भजन शैलियों में गाने गाए। वे उन लोगों को संगीत सिखाते हैं जो इसे संरक्षित करने का वादा करते हैं। वे दिव्य संगीत के प्रति समर्पित एक बहुत ही सरल जीवन जीते हैं। वे सूफी परंपरा में गहरा विश्वास रखते हैं। वे स्वयं को एक ऐसा माध्यम मानते हैं जिसके माध्यम से महान संतों का उपदेश दूसरों तक पहुँचाया जाता है। वे कभी भी व्यावसायिक रूप से इसमें शामिल नहीं हुए हैं, और उनके नाम पर केवल कुछ ही रिकॉर्डिंग हैं (ज्यादातर लाइव कॉन्सर्ट से)। वे ईश्वर को श्रद्धांजलि के रूप में स्वतंत्र रूप से गाने में विश्वास करते हैं। वे अपने संगीत में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग करने में विश्वास नहीं करते हैं और अलाप और तान पर जोर देते हैं। उनका मानना है कि आध्यात्मिक ऊंचाइयों को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब आप स्वतंत्र वातावरण में बिना संकोच के गाएं।
उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, पंजाब संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पूरनचंद वडाली को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, और जालंधर में पीटीसी में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड। उनके नाम पर कई संगीत एल्बम और मूवी स्कोर हैं। लखविंदर, जो बाद में अपने पिता के साथ जुड़ गए, एक स्वतंत्र गायक और कलाकार भी हैं। उनके गीतों में संगीत में शास्त्रीय और वर्तमान रुझानों का मिश्रण है। उनके प्रदर्शनों की सूची में सूफी संत, रोमांटिक, लोक गीत, ग़ज़ल, भजन और भांगड़ा शामिल हैं। अलाप और तान उनके संगीत के महत्वपूर्ण पहलू हैं। उन्होंने भी कई संगीत एल्बम जारी किए हैं और लाइव प्रदर्शन के साथ फिल्मों में भी गाने गाए हैं। तबला वादक शुभ जी का जन्म एक संगीतकार घराने में हुआ था। वह तबला वादक किशन महाराज के पोते हैं। उनके पिता विजय शंकर एक प्रसिद्ध कथक नर्तक हैं, शुभ को संगीत उनके दोनों परिवारों से मिला है। बहुत छोटी उम्र से ही शुभ को अपने नाना पंडित किशन महाराज के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया था। वह श्री कंठे महाराज.की पारंपरिक पारिवारिक श्रृंखला में शामिल हो गए। सन 2000 में, 12 साल की उम्र में, शुभ ने एक उभरते हुए तबला वादक के रूप में अपना पहला तबला एकल प्रदर्शन दिया और बाद में उन्होंने प्रदर्शन के लिए पूरे भारत का दौरा भी किया। इसी के साथ उन्हें पद्म विभूषण पंडित के साथ जाने का अवसर भी मिला। शिव कुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली खान. उन्होंने सप्तक (अहमदाबाद), संकट मोचन महोत्सव (वाराणसी), गंगा महोत्सव (वाराणसी), बाबा हरिबल्लभ संगीत महासभा (जालंधर), स्पिक मैके (कोलकाता), और भातखंडे संगीत महाविद्यालय (लखनऊ) जैसे कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रदर्शन किया है।

Tags: breaking news

Related Posts

-
देहरादून

बड़ी खबर- कल साम 04 बजे देहरादून में 05 जगहों पर की जाएगी माक ड्रिल

-
देहरादून

मंत्री गणेश जोशी ने मसूरी विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा की

Satpal maharaj 02
देहरादून

GMVN की बुकिंग पहुंची बारह करोड़ के पार

-
देहरादून

उत्तराखंड सरकार द्वारा नव‌नियुक्त बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी तथा उपाध्यक्ष विजय कपरवाण ने कार्यभार ग्रहण किया

Load More
Next Post
-

नेपाल व भारत की लोकसंस्कृति को दर्शाता है गोर्खा दशैं-दीपावली महोत्सवः शंकर प्रसाद शर्मा

300x250 2
https://youtu.be/Zn9DyKVhI1Y

Web Stories

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024
उत्तराखण्ड : आज के सभी प्रमुख समाचार।
उत्तराखण्ड : आज के सभी प्रमुख समाचार।

Like Us

Facebook New 01
Author: Rajendra Joshi
Website: Devbhoomisamiksha.com
Email: info@devbhoomisamiksha.com
Contact: +91-9456762615
AppstoreiOS 1 E1725977117558
AppstoreAndroid 1
  • About
  • Contact Us
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer

© 2024 Dev Bhoomi Samiksha All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • देश
  • राज्य
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • पंजाब
    • छत्तीसगढ़
    • झारखंड
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • हिमाचंल प्रदेश
    • हरियाणा
    • महाराष्ट्र
  • उत्तराखंड
    • कुमाऊं
      • अल्मोड़ा
      • चम्पावत
      • उधम सिंह नगर
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • बागेश्वर
    • गढ़वाल
      • उत्तरकाशी
      • चमोली
      • देहरादून
      • टिहरी गढ़वाल
      • पौड़ी गढ़वाल
      • रुद्रप्रयाग
      • हरिद्वार
  • राजनीति
  • धर्म संस्कृति
  • शिक्षा/रोजगार
  • वायरल
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • दुनिया
  • संपादकीय

© 2024 Dev Bhoomi Samiksha All Rights Reserved

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024उत्तराखण्ड : आज के सभी प्रमुख समाचार।