- देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी Devbhoomi Uttarakhand University में राष्ट्रीय कला शिविर का आयोजन
- देशभर के कलाकार व छात्र हुए शिविर में सम्मिलित
देशभर की पारम्परिक कला को आत्मसात करने और रचनात्मकता के विभिन्न आयामों पर मंथन करने के उद्देश्य से देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी (Devbhoomi Uttarakhand University) में राष्ट्रीय कला शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देशभर के कला विशेषज्ञ शिविर का हिस्सा बनकर छात्रों में कलात्मक ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। गुरूवार को देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में फाइन आर्ट्स विभाग द्वारा तीन दिवसीय राष्ट्रीय कला शिविर का उदघाटन हुआ, जिसमें छात्रों में कौशल विकास, रचनात्मक खोज सहित कला के क्षेत्र में भविष्य निर्माण पर चर्चा की गयी ।
साथ ही, देशभर के कला विशेषज्ञों ने अपने हुनर के माध्यम से छात्रों को कला की विभिन्न बारीकियों से अवगत कराया। इस दौरान कई राष्ट्रीय प्रदर्शनियों का हिस्सा रहे मातृका पुरस्कार विजेता व महाराष्ट्र के कारवाँ ग्रुप ऑफ़ आर्टिस्ट्स के सदस्य भरत एन. भंडारी ने कहा कि पारम्परिक कला किसी भी संस्कृति की पहचान होती है। इसलिए सभी कलाकारों का दायित्व है कि वो पारम्परिक कलाओं को मिटने न दें। स्थानीय कलाकार व छात्र भी कर्तव्य का निर्वहन करते हुए उत्तराखंड के ऐंपण के अलावा भी कई और पारम्परिक कलाओं के प्रति समाज को जागरूक करें। कला रत्न व ग्लोबल प्राइड पुरस्कार से सम्मानित डॉ संतोष कुमार और असम ललित कला केंद्र से राजा रवि वर्मा रजत पदक विजेता डॉ ओम प्रकाश मिश्रा ने कहा कि एक सफल कलाकार बनने के लिए कला की बुनियाद मज़बूत होनी चाहिए।
यह राष्ट्रीय शिविर विभिन्न राज्यों की पारम्परिक कलाओं को जानने, समझने और सीखने का एक बेहतरीन अवसर है। तीन दिन तक चलने वाले इस कला शिविर में कला विशेषज्ञों की देखरेख में छात्रों द्वारा प्रकृति के रंगों, संस्कृति की तरंगों और ज़िन्दगी की उमंगों को कैनवास पर उतारा जाएगा और शिविर के अंतिम दिन प्रदर्शनी के ज़रिये छात्रों के हुनर का प्रदर्शन किया जाएगा। मौके पर कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ प्रीति कोठियाल ने कहा कि रचनात्मकता को संस्थानों की सीमा में नहीं बांधना चाहिए बल्कि बाहर निकलकर उसे तराशने का मौका देना चाहिए। शिविर में आये देशभर के छात्र इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। डीन स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म, लिबरल आर्टस एंड फैशन डिज़ाइन प्रोफ़ेसर दीपा आर्या ने रचनात्मक आज़ादी को महत्वपूर्ण बताया। इस मौके पर कला विशेषज्ञ डॉ पवनेंद्र, संघपाल उत्तम, मो मोईन, प्रशांत आर्य, डॉ अनिर्बन धर, सुदीप शर्मा, शुभेंदु सरकार, शशांक शुक्ला सहित डॉ राजकुमार, डॉ मंतोष, कुणाल सडोत्रा, मोहन विश्वकर्मा, पूजा पांडेय, दीपशिखा आदि उपस्थित रहे।