आज हम Christmas Day History के विशेष पर जानेंगे, जैसे की आप जानते हैं कि हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस को पश्चिमी जगत के साथ-साथ पूरे ईसाई समूदाय में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार ईसाई धर्म का सबसेे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जिसे ईसाई समुदाय के लोग प्रत्येक वर्ष शुरू होने से 5 दिन पहले धूमधाम से मनाते हैं।
Christmas Day History (क्रिसमस डे का इतिहास):
Christmas Day History को लेकर इतिहासकारों में हमेशा मतभेद रहा है। इतिहासकारों व उपासकों के अनुसार यह त्यौहार ईशु के जन्म के बाद से प्रत्येक साल मनाया जाता है, लेकिन कई मान्यताओं के अनुसार क्रिसमस के यह त्यौहार ईशु मसीह के जन्म से पहले से मनाया जाता है जिसको लेकर आज आधुनिक समाज में भी एक मतभेद दिखता है।
किन्तु कुछ प्राचीन इतिहासकारों का मानना है कि क्रिसमस रोमन त्यौहार सैंचुनेलिया के ही एक नया रूप है जिसे आज के लोग क्रिसमस के रूप में धूमधाम से मनाते हैं गौरतलब है कि ‘सैंचुनेलिया‘ शब्द को रोमन भाषा में ‘देवता’ का अनुवाद माना जाता है। गौरतलब है कि जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तब उसके बाद से ही ईशु को ही ईश्वर मान के सैंचुनेलिया को ही क्रिसमस डे के रूप में मनाने लगे।
क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है इन हिन्दी:
प्रत्येक वर्ष नया साल शुरू होने से पाँच दिन पहले पूरे ईसाई समुदाय में Christmas Day History को धूमधाम से मनाया जाता है, क्रिसमस को ईसाई धर्म के साथ साथ पूरे विश्व भर में अन्य धर्म के लोग भी धूम धाम से मनाते हैं या क्रिसमस को समाजिक समर्थन देते हैं। ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन यीशु यानी प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इसलिए क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहते हैं। क्योंकि इस दिन प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था इसलिए गिरजाघरों में इस ईशु की प्रर्थना करते हैं। ईशु की धर्मगाथा और झांकियों प्रस्तूत की जाती हैं।
सातां क्लॉस कौन थे (Santa Claus koan the):
Christmas Day History ईसाई धर्म के प्रभु यीशु की मौत के 280 साल के बाद एक संत निकोलस का जन्म हुआ था। संत निकोलस एक बेहद ही अमीर संत थे और उनको ईसाई धर्म के लोग बहुत मानते थे क्यिोंकि वह एक बेहद ही दयालु और उदार व्यक्तित्व के संत माने जाते थे। वह हमेशा गरीबों और असहाया लोगों की सहायता करते रहते थे। मान्यता है कि उन्होंने अपनी सारी संपत्ति को गरीबों की सहायता में लगा दिया था। उन्हीं परोपकारी संत निकोलस को आज आधुनिक समय में लोग सेंटा क्लॉस के नाम से जानते हैं और यह भी माना जाता है कि संत निकोलस बच्चों से बेहद प्यार करते थे और वह बच्चों को बहुत सारे उपहार या गिफ्ट देते रहते थे।
25 दिसंबर को ही क्यों क्रिसमस डे मनाया जाता है(25 December ko hi kyu Christmas Day Manate Hain):
एक जानकारी के अनुसार सन् 98 ई0 से ही लोग क्रिसमस डे को मनाते आ रहे हैं। किन्तु सन् 137 ई0 में रोमन बिशप ने आधिकारिक रूप से क्रिसमस डे को मनाने की घोषणा की थी। हालांकि तब से क्रिसमस डे को मनाने का कोई भी नियत दिन या तारीख तय नहीं हो पाई थी लेकिन लगभग दो सौ साल बाद सन् 350 ई0 में रोमन पादरी युलियस ने 25 दिसम्बर को क्रिसमस दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी और तब से आज यह तक यह त्यौहार को 25 दिसम्बर को ही मनाया जाता है।
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एक और अन्य मान्यता भी इस पर यह चलती है कि पादरी या धर्माधिकारी समाज 25 दिसंबर को क्रिसमस डे का त्यौहार मनाने को तैयार नहीं थे। क्योंकि इस दिन को रोमन जाति के लोग एक पर्व के तौर पर मनाते थे। क्योंकि रोमन मान्यता में माना जाता है कि इसी दिन यानि 25 दिसम्बर को ही सुर्य देव का जन्म हुआ था। लेकिन जब ईशु मसीह का जन्म हुआ तो ऐसा माना गया कि वह ही सूर्य देवता के अवतार हैं और फिर इस प्रकार से तब से वर्तमान तक इस दिन यीशु की पूजा होने लगी, जो ईसाई जगत में आज भी प्रचलन में है और विश्वभर के करोड़ो ईसाई धर्म को मानने वालों की आस्था का केन्द्र है।