प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना : मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में मत्स्य पालन क्षेत्र और मछुआरों का कल्याण करने के लिए एक परिवर्तनकारी योजना है। इस योजना का उद्देश्य मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, एवं प्रबंधन में महत्वपूर्ण अंतर को दूर करना और मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना है। यह एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन संरचना स्थापित करने और मछुआरों के कल्याण के लिए शुरु की गयी है ।
नीली क्रांति– मत्स्य पालन का एकीकृत विकास और प्रबंधन या नीली क्रांति योजना की शुरुआत वित्त वर्ष 2015-16 में 5 वर्षों के लिए 3,000 करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ की गई थी। यह योजना मुख्य रूप से मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित थी। हालांकि, इस क्षेत्र को मत्स्य पालन क्षेत्र की सहायता करने के लिए मूल्य श्रृंखलाओं में कुछ महत्वपूर्ण अंतर को दूर करने की आवश्यकता है।
इस प्रकार, पीएमएमएसवाई को 2020 में शुरू किया गया। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पांच वर्षों (2020-21 से 2024-25) के लिए लागू की जा रही है। यह पहल अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में तल्लीन है और उत्पादन बढ़ाने एवं मजबूत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की पहचान करती है।
इसके अलावा, पीएमएमएसवाई के अंतर्गत एक केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह–योजना (पीएम–एमकेएसएसवाई) की शुरुआत की गई। इस योजना का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक रूप प्रदान करना और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2026-27 तक चार वर्षों की अवधि के दौरान 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के साथ मत्स्य पालन के सूक्ष्म और लघु उद्यमों का समर्थन करना है।
इस योजना ने सितंबर 2024 में अपने चार वर्ष पूरे किए। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया तथा इस क्षेत्र के विकास और मछुआरों के कल्याण के लिए अन्य महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की।
पीएमएमएसवाई की चौथी वर्षगांठ
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की चौथी वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री राजीव रंजन सिंह ने देश के मत्स्य पालन क्षेत्र को बदलने के उद्देश्य से कई प्रमुख पहलों का उद्घाटन किया:
- एनएफडीपी पोर्टल और पीएम–एमकेएसएसवाई दिशा–निर्देश:राष्ट्रीय मत्स्य विकास कार्यक्रम (एनएफडीपी) पोर्टल की शुरुआत और पीएम-मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के परिचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी। एनएफडीपी के माध्यम से संस्थागत ऋण और जलकृषि बीमा जैसे लाभ उपलब्ध हैं। पंजीयन प्रमाणपत्र का भी वितरण।
- मत्स्य पालन क्लस्टर विकास:मत्स्य पालन क्लस्टर विकास कार्यक्रम के अंतर्गत उत्पादन और प्रसंस्करण समूहों के लिए एसओपी की घोषणा, मोती की खेती, सजावटी मत्स्य पालन और समुद्री शैवाल की खेती पर ध्यान केंद्रित। तीन विशेष क्लस्टरों की स्थापना।
- जलवायु अनुकूल तटीय मछुआरा गांव:200 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 100 तटीय गांवों को जलवायु अनुकूल तटीय मछुआरा गांवों में विकसित करने के लिए दिशा-निर्देशों का अनावरण।
- ड्रोन टेक्नोलॉजी पायलट:मछली परिवहन के लिए ड्रोन तकनीक के उपयोग पर एक पायलट परियोजना की शुरुआत, जिसे केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीआईएफआरआई) द्वारा संचालित किया जाएगा।
- अनुसंधान एवं प्रजनन केंद्र:समुद्री शैवाल की खेती के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मंडपम क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना के लिए अधिसूचना का अनावरण। समुद्री और अंतर्देशीय प्रजातियों के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर (एनबीसी) की स्थापना की जाएगी, जिसमें आईसीएआर-सीआईएफए (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय मीठा जल जीव पालन अनुसंधान संस्थान) भुवनेश्वर और आईसीएआर-सीएमएफआरआई (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान) मंडपम को क्रमशः मीठे पानी और समुद्री प्रजातियों के लिए नोडल संस्थानों के रूप में नामित किया जाएगा।
- मत्स्य स्टार्ट–अप:100 मत्स्य स्टार्ट-अप, सहकारी समितियों, एफपीओ और एसएचजी को बढ़ावा देने के लिये तीन इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना की घोषणा।
- स्वदेशी प्रजातियों को बढ़ावा:देशी मछली प्रजातियों के संवर्धन एवं राज्य मछली संरक्षण पर पुस्तिकाओं का विमोचन। 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 22 ने अपने राज्य की मछली को अपनाया या घोषित किया।
- प्राथमिकता वाली परियोजनाएं:परियोजनाओं के लिए 721.63 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिनमें शामिल हैं:
- असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा और नागालैंड में पांच एकीकृत एक्वा पार्कों का विकास।
- अरुणाचल प्रदेश और असम में विश्व स्तरीय मत्स्य बाजार। गुजरात, पुडुचेरी और दमन एवं दीव में स्मार्ट और एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाह।
- कई राज्यों के लवणीय क्षेत्र जलकृषि और एकीकृत मत्स्य पालन के लिए 800 हेक्टेयर भूमि का आवंटन।
- पोत संचार प्रणाली:मछुआरों की सुरक्षा एवं संचार सुनिश्चित करने के लिए एक लाख ट्रांसपोंडर के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए पोत संचार एवं समर्थन प्रणाली पर प्रकाश डाला गया।
ये पहल “विकसित भारत @ 2047” के दृष्टिकोण के अनुरूप आजीविका के अवसरों, स्थिरता और देश की नीली अर्थव्यवस्था में सुधार पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
पीएमएमएसवाई की संरचना और घटक
पीएमएमएसवाई एक अम्ब्रेला योजना है जिसके दो अलग–अलग घटक हैं:
- केंद्रीय क्षेत्र की योजना(सीएस):केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित और कार्यान्वित।
- केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना(सीएसएस):आंशिक रूप से केंद्र सरकार द्वारा समर्थित और राज्यों द्वारा कार्यान्वित।
केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना (सीएसएस) घटक को निम्नलिखित तीन व्यापक शीर्षकों के अंतर्गत गैर-लाभार्थी-उन्मुख और लाभार्थी-उन्मुख उप-घटकों/गतिविधियों में विभाजित किया गया है:
- उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि
- अवसंरचना और कटाई के बाद का प्रबंधन
- मत्स्य पालन प्रबंधन और नियामक संरचना
लाभार्थी
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत भावी लाभार्थी निम्नलिखित हैं:
- मछुआरे
- मत्स्य पालक
- मत्स्य श्रमिक और मत्स्य विक्रेता
- मत्स्य विकास निगम
- मत्स्य पालन क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी)/ संयुक्त दायित्व समूह (जेएलजी)
- मत्स्य सहकारी समितियां
- मत्स्य महासंघ
- उद्यमी और निजी फर्म
- मछली किसान उत्पादक संगठन/कंपनियां (एफएफपीओ/सीएस)
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला/दिव्यांगजन
- राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश और उनकी संस्थाएं
- राज्य मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एसएफडीबी)
- केंद्र सरकार और उसकी संस्थाएं
भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन क्षेत्र का योगदान
- मत्स्य पालन क्षेत्र लगभग तीन करोड़ लोगों को सहायता प्रदान करता है, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों को।
- मत्स्य उत्पादन वित्त वर्ष 2022-23 में 175.45 लाख टन, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश। यह देश के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में लगभग 1.09% और कृषि जीवीए में 6.724% से ज्यादा योगदान देता है।
- मत्स्य पालन क्षेत्र का समग्र विकास और परिवर्तन के लिए विभिन्न योजनाएं और पहल:
(ए). मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ): यह योजना 2018-19 में 7,522.48 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ शुरू हुई। इस योजना के अंतर्गत, भारत सरकार मूल राशि के पुनर्भुगतान के लिए 2 वर्ष के अधिस्थगन सहित 12 वर्ष की पुनर्भुगतान अवधि के लिए 3 प्रतिशत प्रति वर्ष तक ब्याज छूट प्रदान करती है।
(बी). किसान क्रेडिट कार्ड: भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 से मछुआरों और मत्स्य पालकों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा बढ़ा दी है।
पीएमएमएसवाई के लक्ष्य और उद्देश्य
- सतत और समावेशी रूप से मत्स्य पालन क्षमता का दोहन।
- भूमि और जल का विस्तार, गहनता और उत्पादक उपयोग माध्यम से मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा।
- मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण – फसल कटाई के बाद प्रबंधन और गुणवत्ता में सुधार।
- मछुआरों और मत्स्य पालकों की आय और रोजगार सृजन को दोगुना करना।
- कृषि, जीवीए और निर्यात में योगदान बढ़ाना।
- मछुआरों और मत्स्य पालकों के लिए सामाजिक, भौतिक और आर्थिक सुरक्षा।
- मजबूत मत्स्य प्रबंधन और नियामक संरचना।