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महाराज ने आईएफएस प्रोबेशनर्स प्रशिक्षुओं से कहा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का दृढ़ता से करें सामना।

by Rajendra Joshi
July 29, 2022
in उत्तराखंड
0
-
Posted :- 29 July 03:07:09

देहरादून। हमें वानिकीकरण के साथ-साथ मृदा एवं जल संरक्षण पर भी जोर देने की आवश्यकता है, ऐसा करने से हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना दृढ़ता से कर पाएंगे और हमारे देश द्वारा तय किए गए कार्बन सिकवेष्ट्रशन एवं भूमि क्षरण तटस्थता (Land Degradation Neutrality) के लक्ष्यों को भी प्राप्त कर सकते हैं।

उक्त बात प्रदेश के जलागम, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, लोक निर्माण, पर्यटन, सिंचाई, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को नव हास्टल, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में पिछले दो सप्ताह से मृदा एवं जलसंक्षण और जलागम प्रबंधन पर चल रहे प्रशिक्षण के समापन अवसर पर बोलते हुए कही।

मृदा एवं जलसंक्षण और जलागम प्रबंधन पर चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने आईएफएस प्रोबेशनर्स प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय वन सेवा अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 1951 के तहत गठित तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है। जबकि 2 सेवाएं भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा है। मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मुझे आईएफएस-2021 बैच के सभी चयनित अधिकारियों को संबोधित करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि मैं दोनों संस्थानों के अधिकारियों को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि आपने दोनों संस्थानों के मध्य एक सार्थक सहयोग के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है।

आईएफएस प्रोबेशनर्स के रूप में आपने आईजीएनएफए में प्रशिक्षण लिया है जिसमें कई विषयों जैसे वानिकी, वन्य जीवन, पर्यावरण प्रबंधन कानून और सामाजिक विज्ञान विज्ञान से संबंधित लगभग 24 तकनीकी विषयों को कवर किया जाता है। आप यह भली-भांति जानते हैं कि पारिस्थितिकी संतुलन एवं इसकी उचित सेवाओं के लिए किसी क्षेत्र विशेष में उपस्थिति का प्रबंधन समेकित दृष्टिकोण से करना आवश्यक है।

महाराज ने कहा कि मिट्टी व जल जीवन के मूल आधार हैं, इनका टिकाऊ प्रबंधन एवं संरक्षण मानव कल्याण हेतु हमेशा से जरूरी रहा है जिसकी चर्चा हमारे विभिन्न ग्रंथों में भी की गई है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान ने आईएफएस प्रोबेशनर्स को मृदा एवं जल संरक्षण और जलागम प्रबंधन पर 12 दिनों का एक समुचित प्रशिक्षण दिया है। इस प्रशिक्षण में
थ्योरी के साथ-साथ फील्ड प्रैक्टिकल को ज्यादा महत्व दिया गया और आप सभी आईएफएस प्रोबेशनर्स ने इसमें प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लिया है।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि मुझे विश्वास है कि इस प्रशिक्षण से आपके ज्ञान व कौशल में वृद्धि हुई होगी और यह भविष्य में आप के काम आएगा। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी की उचित सेवाओं के लिए किसी भी क्षेत्र विशेष में कृषि, वानिकी या अन्य भू-उपयोग को अलग-अलग दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। इसके साथ-साथ उस क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों की सहभागिता के बगैर टिकाऊ विकास संभव नहीं है। यही सिद्धांत जलागम प्रबंधन में निहित है।

महाराज ने सभी आईएफएस प्रोबेशनर्स प्रशिक्षुओं से कहा कि जलागम प्रबंधन के सिद्धांतों और इसके लिए आवश्यक व्यवहारिक ज्ञान जरूरी है यदि भविष्य में आप को जलाकर में काम करने का मौका मिले तो आपको इस प्रशिक्षण का निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। हमारे देश में मिट्टी का कटाव एक अत्यंत विकट समस्या है खास तौर पर पर्वतीय राज्य इससे बुरी तरह प्रभावित है बड़े ही आश्चर्य की बात है कि केवल मृदा कटाव को नियंत्रित करने से हम अपने देश की कुल कार्बन सिकवेष्ट्रशन क्षमता का करीब 45 प्रतिशत प्राप्त कर सकते हैं।

जलागम मंत्री ने कहा कि हमारे देश के ज्यादातर हिस्सों में ग्रामीण विकास किया जाना आज एक बहुत बड़ा मुद्दा है और ग्रामीण पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है। इसके लिए जलागम आधारित कृषि विकास कारगर उपाय है, क्योंकि इस दृष्टिकोण से मिट्टी, पानी, जंगल, जानवर व जन का एक क्षेत्र विशेष में समुचित प्रबंधन और विकास किया जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण वर्षा की तीव्रता में वृद्धि हुई है और वर्ष भर में वर्षा दिवसों में भारी कमी आई है। इस वजह से अल्प समय में बहुत तेज वर्षा होने से मिट्टी कटाव, भूस्खलन एवं तीव्र जल प्रवाहों की समस्या दिन-प्रतिदिन गहराती जा रही है।

महाराज ने कहा कि देश के कई हिस्सों में प्राकृतिक जल स्रोत भी निरंतर सूखते जा रहे हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक वन अधिकारी होने के नाते आपका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।

इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक भरत ज्योति, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के निदेशक डॉक्टर एम.मधु, वन अकादमी के अपर निदेशक सुशील कुमार प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डॉ धर्मवीर सिंह वन अकादमी और मृदा संरक्षण संस्थान के विशेषज्ञ एवं कई आईएफएस प्रोबेशनर्स प्रशिक्षु उपस्थित थे।

Tags: Land Degradation Neutralityअकादमी और मृदा संरक्षण संस्थान के विशेषज्ञआईएफएस प्रोबेशनर्स प्रशिक्षुइंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमीकार्बन सिकवेष्ट्रशन एवं भूमि क्षरण तटस्थताग्रामीण निर्माणधर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराजनव हास्टलपंचायतीराजपर्यटनप्रदेश के जलागमप्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डॉ धर्मवीर सिंहभारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के निदेशक डा0 एम0 मधु जीलोक निर्माणवन अकादमी के अपर निदेशक सुशील कुमारसिंचाई

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