देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणपति बप्पा की स्थापना की जाती है। इसी दिन से 10 दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। गणेश चतुर्थी का त्योहार गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस साल गणेश उत्सव की शुरुआत 19 सितंबर 2023 से हो रही है। इस दिन लोग गणपति बप्पा को ढोल नगाड़ों के साथ बड़ी ही धूमधाम से घर में लाते हैं। पूरे गणेश उत्सव के दिनों में चारों ओर बप्पा के नाम का उद्घोष सुनाई पड़ता है। भगवान गणपति बुद्धि और शुभता के देवता हैं। कहा जाता है कि जहां पर बप्पा विराजते हैं वहां हर समय सुख-समृद्धि रहती है। इस साल गणपति बप्पा का आगमन बेहद शुभ योग में हो रहा है। पंचांग के अनुसार इस बार गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा का आगमन रवि योग में हो रहा है। 19 सितंबर 2023 मंगलवार को रवि योग सुबह 06 बजकर 08 मिनट से दोपहर 01 बजकर 48 मिनट तक है। पूजा-पाठ के लिए रवि योग को शुभ माना जाता है।
इस बार गणेश चतुर्थी पर भद्रा का साया है। इस दिन सुबह 06 बजकर 08 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। हालांकि इस भद्रा का वास पाताल लोक में होगा, इसलिए इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर मान्य नहीं होगा।
दस दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव को लेकर तैयारियां पूरी। विभिन्न संगठनों की ओर से आयोजित होने वाले गणेशोत्सव की तैयारियों को आज अंतिम रूप दिया गया है। वहीं गणेश उत्सव मंडल धामावाला की ओर से आयोजित होने वाले गणेशोत्सव के लिए मुंबई से बप्पा की मूर्ति दून पहुंची हैं। 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर मूर्ति की स्थापना की जाएगी। गणेश उत्सव मंडल धामावाला के कोषाध्यक्ष संतोष ने बताया की इस वर्ष की मूर्ति को विशेष रूप से तैयार किया गया है। मूर्ति में भगवान गणेश के साथ राममंदिर की झलक है। 19 सितंबर की शाम को साढ़े सात बजे दिगंबर भरत गिरी महाराज के मार्ग दर्शन में मूर्ति स्थापना की जाएगी। 19 से 25 सितंबर तक सुबह शाम आरती के बाद रात को झांकियों का आयोजन किया जाएगा। 24 सितंबर को भंडारे का आयोजन होगा। 25 सितंबर को सुबह 11 बजे बप्पा की शोभायात्रा निकाली जाएगी। शाम सात बजे ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट में बप्पा की मूर्ति को विसर्जित किया जाएगा। इसके लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि :-
गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें।
फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें।
सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं।
चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं।
अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं।
हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें।
इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें।
पूजा के आरंभ से लेकर अंत तक अपने जिह्वा पर हमेशा ॐ श्रीगणेशाय नमः। ॐ गं गणपतये नमः। मंत्र का जाप अनवरत करते रहें।
आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं। पंचामृत हो तो और भी अच्छा रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं।
उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं।
आखिर में गणेश जी की आरती करें और मनोकामना पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगे।