देहरादून। एस.के.एम. न्यूज़ सर्विस । ऋषिकेश में उत्तराखंड युवक कांग्रेस द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय राजीव गांधी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के तौर पर स्वर्गीय राजीव गांधी द्वारा किए गए कार्यों एवं इंडियन एयरलाइंस के पायलट से लेकर एक राजनेता के तौर पर उनकी यात्रा पर प्रकाश डालने के लिए उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी को अतिथि एवं गेस्ट स्पीकर के तौर पर आमंत्रित किया गया।
जिससे कि अधिक से अधिक युवा उनके द्वारा किए गए कार्यों एवं जीवन से प्रभावित होकर प्रेरणा ले सकें। इस अवसर पर बोलते हुए गरिमा मेहरा दसोनी ने कहा की राजीव गांधी की यात्रा कोई आसान यात्रा नहीं थी अपनी मां के शरीर में 36 गोलियां देखने के बावजूद राजीव गांधी को खुलकर रोने का तक समय नहीं मिला।
देश में दंगे भड़क चुके थे और देश नेतृत्व मांग रहा था। दसौनी ने उपस्थित श्रोताओं को बताया कि कैसे 2 महीने तक राजीव गांधी का नामकरण नहीं हो पाया क्योंकि इंदिरा ने उनका नाम राजीव रतन रखा था, जो नेहरु जी को पसंद नहीं आ रहा था, फिर इंदिरा ने नेहरू जी को बताया कि राजीव का अर्थ कमल होता है जो कमला नेहरू से लिया है और रतन का मतलब जवाहर।
तब जाकर नेहरू ने राजीव गांधी के नाम पर मोहर लगाई। दसोनी ने यह भी बताया कि एक बार राजीव गांधी गुलाम नबी आजाद किसी ऊंचाई वाली मिलिट्री पोस्ट पर पैदल जा रहे थे अचानक रास्ते में उनके सुरक्षाकर्मी का पैर मुड़ गया और मोच आ गई, राजीव गांधी ने तुरंत अपना फर्स्ट एड बॉक्स मंगवाया उस सुरक्षाकर्मी के जूते अपने हाथों से खोलें और फिर काफी देर तक उसके पैरों पर अपने हाथों से मलहम लगाते रहे। दसोनी ने बताया कि राजीव गांधी देश की जनता पर अगाध विश्वास करते थे हजारों की भीड़ में भी यदि कोई उन्हें खाने के लिए कुछ देता था तो वह तुरंत खा लेते थे सुरक्षा घेरे की फिक्र भी कभी राजीव में नहीं की।
दसौनी ने कहा की आधुनिक भारत की मजबूत आधारशिला रखने वाले जन जन के प्रिय नेता स्व. राजीव गांधी 1984 से 1989 तक का प्रधान मंत्री के रूप में कार्यकाल भारत को 21वीं सदी में लाने की इच्छा से ओत प्रोत था। उन्होंने एक आधुनिक, तकनीकी रूप से उन्नत भारत की कल्पना की और विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधारों को लागू करना शुरू किया। दसौनी ने कहा की उनकी सबसे स्थायी विरासतों में से एक दूरसंचार क्षेत्र का उदारीकरण था। उन्होंने भारत में दूरसंचार क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे लाखों लोगों के लिए टेलीफोन कनेक्टिविटी सुलभ हो गई। उनके दृष्टिकोण ने भारत के आईटी और सॉफ्टवेयर उद्योग में उछाल की नींव रखी।
दसौनी ने कहा की राजीव गांधी का मानना था कि भारत की असली ताकत उसके युवाओं में है इसीलिए उन्होंने 1986 में शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति पेश की, जिसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में सुधार करना और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना था। दसौनी ने उन्हें याद करते हुए कहा की जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए, उन्होंने पंचायती राज विधेयक पेश किया, जिसने स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाया। इसने सत्ता और संसाधनों के विकेंद्रीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी विदेश नीति पहलों ने वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाया। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में उनके योगदान और श्रीलंका में शांति के प्रयासों ने पड़ोसी देशों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।
अपने कार्यकाल के दौरान, राजीव गांधी को भोपाल गैस त्रासदी और पंजाब विद्रोह सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी सरकार की प्रतिक्रियाओं ने संयम और करुणा के साथ संकटों को संभालने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित किया।दसौनी कहा की दुख की बात है कि 1991 में एक आतंकवादी कृत्य के कारण राजीव गांधी का जीवन समाप्त हो गया। यदि राजीव गांधी 10 साल और प्रधानमंत्री रह गए होते तो देश की सूरत ही बदल जाती क्योंकि उन्हें बड़ी सपने देखने की हिम्मत और उन सपनों को साकार करने की हिम्मत थी। उनकी हत्या ने देश के मानस पर एक अमिट छाप छोड़ी। हालाँकि, उनकी विरासत कायम है। आधुनिक, प्रौद्योगिकी-संचालित भारत का राजीव गांधी का दृष्टिकोण काफी हद तक साकार हुआ है।
उनकी नीतियों ने 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण की नींव रखी, जिससे भारत एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति में बदल गया। धर्मनिरपेक्षता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, शिक्षा के महत्व पर उनका जोर और सार्वजनिक सेवा के प्रति उनका समर्पण भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
दसौनी ने वहां उपस्थित युवाओं से कहा की राजीव गांधी सिर्फ एक प्रधान मंत्री नहीं थे बल्कि एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने एक बेहतर भारत का सपना देखने का साहस किया। उनकी विरासत एक पुनरुत्थानशील, गतिशील और समावेशी राष्ट्र के रूप में जीवित है। आज जब हम उन्हें याद कर रहे हैं, तो आइए हम उनके दृष्टिकोण से प्रेरणा लें और उनके सपनों का भारत बनाने के लिए सामूहिक रूप से काम करें – जो प्रगतिशील, समावेशी और अपने सभी नागरिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो।
द सोनी ने युवाओं को याद दिलाया कि वह राजीव ही थे जिन्होंने वोट डालने की उम्र को 21 से घटाकर 18 कर दिया था राजीव जी का यह कदम युवा सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। कार्यक्रम में पूर्व काबीना मंत्री हरक सिंह रावत जिला अध्यक्ष मोहित उनियाल युवा कांग्रेस प्रभारी शिवी चौहान विधानसभा प्रत्याशी जयेंद्र रमोला सनी प्रजापति गौरव राणा इत्यादि भी उपस्थित रहे।