देहरादून 11 अगस्त। उत्तराखण्ड में Jaivik Kheti एवं सेब की सघन बागवानी को बढावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय कृषक गोष्ठी का उद्घाटन सुबे के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों ने अल्प सूचना के बाद भी प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों से बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया गया है, इसके लिए वह सभी किसानों का आभार प्रकट करते हैं। मंत्री Ganesh Joshi द्वारा बताया गया कि सरकार का उद्देश्य है कि कृषकों की मांगानुसार ही नवीनतम प्रजाति की उच्च गुणवत्तायुक्त पौध रोपण सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी। प्रदेश में खराब होने वाले फलों का सदुपयोग कर अन्य प्रदेशों यथा- गोवा की भॉति फू्रट वाईन बनाकर एक तरफ किसानों को हो रही हानि से बचाने एवं दूसरी ओर प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने पर भी अध्ययन किया जा रहा है।
उन्होंने किसानों द्वारा की गयी मांग के दृष्टिगत प्रदेश में फलों को संरक्षित करने के लिए कोल्ड चैन की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए इस सम्बन्ध में एक स्थान पर अत्यधिक उत्पादन होने पर भी cold storage project पर बल दिया। कृषि मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निम्नानुसार निर्देश दिये गयेः-
किसानों को फल प्रजाति का चयन करने के लिए पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान की जाय।
कोरोगेटेड बॉक्स की गुणवत्ता में और सुधार किया जाय एवं समय पर किसानों की आवश्यकतानुसार वितरण सुनिश्चित किया जाय, जिससे अन्य राज्यों से आयात रोका जा सके।
किसानों द्वारा की गयी मांग के अनुसार राजसहायता में वृद्धि पर विचार किया जाय।
स्थानीय स्तर पर छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाईयॉ स्थापित कर कृषकों को उनके बाजार में बिक्री अयोग्य उत्पाद का भी उचित मूल्य प्रदान कराया जाय।
गढ़वाल एवं कुमाऊ मण्डल में 02-02 रिफरवैन की व्यवस्था की जाय ताकि कृषकों के उत्पादों की सुगमतापूर्वक विपणन व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।
प्रदेश के कृषकों के औद्यानिक उत्पादों (फल व सब्जी) को संरक्षित रखने के लिए हरियाणा के सोनीपत में 5000 मै0टन की भण्डारण क्षमता का भण्डारगृह किराये पर शीघ्र लिया जायेगा, जिससे प्रदेश के कृषक बाजार की मांग के अनुसार अपने उत्पादों की बिक्री कर अधिकाधिक लाभ प्राप्त कर सकें।
विभागीय कार्मिकों को तकनीकी संस्थानों में एवं प्रदेश के किसानों को दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित करने हेतु कार्यक्रम किये जायें।
जनपद उत्तरकाशी के हर्षिल में उत्पादित सेब को विशेष पहचान दिलाने हेतु पृथक से सेब के cold storage project बनाये जायें।
प्रदेश में पौध रोपण सामग्री का उत्पादन कर रही राजकीय एवं व्यक्तिगत पौधशालाओं से शतप्रतिशत फल पौध वितरण के उपरान्त ही कृषकों की शेष मांग की पूर्ति हेतु राज्य के बाहर की पौधशालाओं से आपूर्ति पर विचार किया जाय। साथ ही प्रदेश की राजकीय पौधशालाओं में पौध रोपण सामग्री के लक्ष्यों में वृद्धि करने के निर्देश दिये गये।
किसानों की समस्याओं के त्वरित समाधान हेतु कॉल सेन्टर की स्थापना तत्काल करायी जाय, जिससे कृषकों की समस्याओं का समाधान हो सके। साथ ही प्रदेश का स्प्रे-सिड्यूल तथा वर्षभर की औद्यानिक गतिविधियों का कैलेण्डर तैयार कर वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाय।
कृषकों को विभिन्न औद्यानिक निवेशोें की आपूर्ति समय पर सुनिश्चित करायी जाय।
कृषकों के उत्पादों की विपणन समस्या को दूर करने के लिए उत्तराखण्ड औद्यानिक परिषद को मजबूती प्रदान की जाय।
अन्य फलों को भी प्रोत्साहित करने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर किया जाय।
Jaivik Kheti पर दिया जायेगा जोर कृषि मंत्री Ganesh Joshi.
कृषि सचिव दीपेन्द्र चौधरी द्वारा अपने भाषण में कार्यक्रम की रूप रेखा पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए बताया गया कि कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री के निर्देशानुसार राज्य jeivik kheti में सेब की अति सघन बागवानी को बढ़ावा देने हेतु गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पन्तनगर, केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान व जम्मू-कश्मीर आदि के विशेषज्ञों के साथ-साथ विभिन्न स्टेक होल्डर्स के सहयोग से सेब की अति सघन बागवानी नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इस नीति को अन्तिम रूप देने हेतु कृषि मंत्री के निर्देशानुसार कृषकों/सेब उत्पादकों के महत्वपूर्ण सुझावों का समावेश किये जाने हेतु आज इस गोष्ठी का आयोजन किया गया है। सचिव ने आशा जतायी कि आज की संगोष्ठी में प्राप्त सुझावों के समावेश से सेब की अति सघन बागवानी नीति आवश्यक सुधार कर प्रदेश में सफलतापूर्वक सेब के गुणवत्तायुक्त उत्पादन में वृद्धि की जा सकेगी।
विभाग के महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान द्वारा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के प्रस्तुतिकरण में मात्र योजना के मुख्य बिन्दुओं पर ही प्रकाश डाला गया है, किन्तु किसानों के सुझावों को सुनने के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि उनकी 90 प्रतिशत से अधिक समस्याओं का समाधान योजना के विस्तृत विवरण में समाहित किया गया है। उन्होंने किसानों द्वारा दिये गये महत्वपूर्ण सुझावों का स्वागत करते हुए कहा कि आज महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं एवं यह सभी सुझाव उद्यान विभाग अपने सरमाथे पर लेता है तथा उनके आधार पर किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु तत्पर है। विभाग द्वारा विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु अपने स्तर से प्रभावी कार्यवाही की जा रही है, किन्तु थोड़ा समय अवश्य लगेगा। महानिदेशक ने कहा कि विभाग प्रदेश में सेब के गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु निरन्तर प्रयासरत है, किन्तु साथ ही आने वाले उत्पादन के विपणन के लिए भी पूर्ण रूप से चिन्ता कर रहा है, जिससे उत्पादन बढ़ने पर विपणन की समुचित व्यवस्था की जा सके। इस हेतु शीघ्र ही मार्केटिंग पॉलीसी भी लायी जायेगी। उत्तराखण्ड राज्य के किसान व विभाग स्वयं में सक्षम हैं, हम मिलकर साथ-साथ काम करते हुए अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बनायेंगे। महानिदेशक महोदय ने उद्यानपतियों को सजग करते हुए कहा कि नवीन बागान स्थापना करते हुए प्रजाति का चुनाव तकनीकी विशेषज्ञों के सुझाव एवं स्थानीय कृषि जलवायु की अनुकूलता के अनुसार ही किया जाय, अन्यथा की स्थिति में हानि की सम्भावना बनी रहती है। महानिदेशक महोदय ने समस्त उद्यानपतियों को आश्वस्त किया कि विभाग उनके लिए है एवं उनके द्वारा प्रस्तुत समस्याओं एवं सुझावों के अनुसार कार्य करने के लिए प्रयासरत है।
कार्यक्रम में पूर्व राज्यमंत्री नारायण सिंह राणा, पदम्श्री प्रेम चन्द्र शर्मा, प्रताप सिंह रावत, मण्डी परिषद के प्रबंध निदेशक आशीष भटगई, उद्वान विभाग के अपर निदेशक डा0 आर0के0 सिंह, डा0 रतन कुमार, डा0 सुरेश राम, डा0 बृजेश गुप्ता, महेन्द्रपाल, नरेन्द्र यादव, रजनीश सिंह, डा0 रोहित बिष्ट, मुख्य उद्यान अधिकारी डा0 मीनाक्षी जोशी, तेजपाल सिंह, डी0के0 तिवारी, प्रभाकर सिंह, राजेश तिवारी, आर0के0 सिंह, रामस्वरूप वर्मा, सतीश शर्मा उपस्थित रहे।