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Prakritik aapda (प्राकृतिक आपदा )
प्राकृतिक आपदा का सीधे शब्दों में हम कह सकते हैं कि आपदा खतरे का एक ऐसा स्वरूप जिससे विशाल स्तर पर जन हानि हो सकती है व होने की आशंका होती है, उसे हम आपदा कह सकते हैं। इस प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाना एक कठिन कार्य है, फिर भी कुछ चुनिंदा प्रकार की आपदाओं की आगामी सूचनाओं को जन सामान्य तक पहुँचा कर होने वाले प्रभाव को कम या टाला जा सकता है, साथ ही अगर हम बात करें भूकंप या ज्वालामुखी आदि Prakritik aapda की तो यदि हमें आपदा के विषय में जानकारी है, तो आपदा के बाद जो खतरे उत्पन्न होते हैं उनसे हम सुरक्षित रह सकते हैं।
Prakritik aapda kya hai ( प्राकृतिक आपदा क्या है )
प्राकृतिक आपदा ऐसी आपदा है जिसको मानव द्वारा रोका तो नहीं जा सकता है पर किसी हद तक कम किया जा सकता है प्राकृतिक आपदा कई प्रकार की हो सकती है |
इसलिए आज के समय में आपको भी आपदा की जानकारी रखना अत्यंत आवश्यक है, जिससे बड़े नुकसान से कुछ हद तक राहत मिल सके कुछ आपदा प्राकृतिक होती है लेकिन कुछ आपदाएं मानव जनित भी होती इसलिए हमें आपदा के विषय में जानकारी होना अति आवश्यक है। प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप एवं ग्लेशियरों का टूटना बहुत खतरनाक होता है।
आपदा को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है, जो निम्नवत् है।
- प्राकृतिक आपदा
- मानव जनित आपदा (इस विषय को अगले भाग में कवर किया जाएगा)
प्राकृतिक आपदा मुख्यतः 10 प्रकार की होती है।
1.1- भूमि चालन से होने वाली आपदाएं: prakritik aapda भी कुछ भूमि से चालन होती है जैसे- भूकंप, भूस्खलन एवं मिट्टी का बहाव ज्वालामुखी विस्फोट एवं कुछ आपदाएं जलीय आपदा भी होती है, जिनमें बाढ़, सुनामी या मौसमी आपदाएं भी शामिल है, जिसमें बर्फीली हवाएं एवं सूखा मुख्य है। अब हम भूमि से चालन होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के विषय में विस्तार से जानेंगे।
1.2- हिमस्खलन (Avalanche): किसी ढलान वाली सतह पर तेज़ी से हिम के बड़ी मात्रा में होने वाले बहाव को कहते हैं। यह आमतौर पर किसी ऊँचे क्षेत्र में उपस्थित हिमपुंज में अचानक अस्थिरता पैदा होने से आरम्भ होते हैं। शुरु होने के बाद ढलान पर नीचे जाता हुआ हिम गति पकड़ने लगता है और इसमें बर्फ़ की और भी मात्रा शामिल होने लगती है।
1.3- भूकंप (Earthquake): साधारण शब्दों में कहा जाए तो जमीन के कांपने को भूकंप कहते है। जब धरती के नीचे की सतह में चट्टानें आपस में टकराती हैं या टूटती हैं तो भूकंप (earthquake) का केंद्र कहलाता है, इसे हाइपरसेंटर भी कहते है। यह धरती के लिथोस्फीयर में एनर्जी के अचानक रिलीज हो जाने की वजह से बनने वाली सिस्मिक वेव से होता है।
1.4- चक्रवात और तूफानी लहर (Cyclone and Strome surgs): मौसम विज्ञान में, चक्रवात एक ऐसा बंद परिपत्र है जिसका तरल पदार्थ, पृथ्वी के समान एक ही दिशा में चक्कर लगाता रहता है। इसमें आमतौर पर हवा सर्पिल आकार में, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त रूप से घूमती है। बड़े चक्रवात वाले परिसंचरण लगभग हमेशा कम वायुमंडलीय दबाव के क्षेत्रों पर केंद्रित रहते हैं। सबसे बडी कम दबाव वाली प्रणालियाँ कोर ध्रुवीय चक्रवात और अतिरिक्त उष्ण कटिबंधीय चक्रावात कहलाती हैं जो साइनोपटीक पैमाने पर रहती है।
1.5- भूस्खलन एवं मिटटी का बहाव (landslide and mud flow) : भूस्खलन का अर्थ मृदा और चट्टानों के खिसकने से है जो कि गुरुत्व बल द्वारा नियंत्रित होता है। यह सत्ही और गहरी भी हो सकती है। किंतु पदार्थ का द्रव्यमान के किसी हिस्से से या फिर जल से भी हो सकता है। उस आंकलन का प्रयोग व्रत संदर्भ में चट्टान का अग्रगामी और पश्चिमी चाल से किया जाता है। मुर्दा तेज बारिश और भूकंप के कारण भूस्खलन हो जाता है। यह भारी हिमपात में भी हो सकता है। भूस्खलन किरण को एक स्वतंत्र घटना के तौर पर अनुमानित करना कठिन है इसलिए इसे अन्य दुर्घटनाओं जैसे चक्रवात तूफान और नदी में बाढ़ से जोड़ना उचित माना जाता है।
1.6- ज्वालामुखीय विस्फोट (Volcanic eruption): ज्वालामुखी के फटने या पत्थरों के गिरने से होने वाला विस्फोट अपने आप में एक आपदा हो सकते हैं, लेकिन इनके कई सारे प्रभाव जो की विस्फोट के बाद हो सकते हैं वो भी मानव जीवन के लिए हानिकारक हैं। जैसे लावा (स्ंअं), जिसके अन्दर अत्यन्त गरम पत्थरों का समावेश होता है, किसी ज्वालामुखी के ईरप्शन के दौरान उत्पन्न होता है। इसके कई अलग प्रकार हैं, जो की या तो भुरभुरे हो सकते हैं। ज्वालामुखी से निकलने के बाद ये रास्ते में आने वाले भवनों और पौधों को नष्ट कर देता है।
1.7- सूखा (Drought): पानी की आपूर्ति में लंबे समय तक की कमी की एक घटना, चाहे वायुमंडलीय पानी हो, सतह का पानी हो या भूजल। सूखा महीनों या वर्षों तक रह सकता है, और इसे 15 दिनों के बाद घोषित किया जा सकता है। यह प्रभावित क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र और कृषि पर काफी प्रभाव डाल सकता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है। उष्ण कटिबंध में वार्षिक शुष्क मौसमों में सूखे के विकास और बाद में होने वाली आग की संभावना में काफी वृद्धि होती है। गर्मी की अवधि जल वाष्प के वाष्पीकरण को तेज करके सूखे की स्थिति को काफी खराब कर सकती है। सूखा दुनिया के अधिकांश हिस्सों में जलवायु की आवर्ती विशेषता है।
1.8- जंगल की आग (Wildfire): एक ऐसी अनियंत्रित आग को कहते हैं जो वन्य प्रदेश (wildland) को जला देती है। इसके सामान्य कारण तो हैं बिजली गिरना (lightning) और सूखा (drought) परन्तु इसे मानव की लापरवाही और आगजनी (arson) द्वारा भी शुरू किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और वन्य जीवन (wildlife) के लिए ये खतरा उत्पन्न करती हैं।
1.9- अंतरिक्ष से होन वोली प्राकृतिक आपदाः अंतरीक्ष में हाने वाली असामान्य गतिविधियों से जो भी नुकसान होते हैं उन्हें हम अंतरिक्ष से होन वोली prakritin aapda की श्रेणी में रखते हैं। जिसके अंतर्गत हम सौर विकरण, आकाश से उल्का पिड़ का गिरना अत्यादि को शामिल करते हैं।
1.10- महामारी (epidemic) : एक छूत की बीमारी के फैलने को कहते हैं जोकि मानव आबादी में बहुत तेजी से फैलती है। यदि महामारी विश्वभर में फ़ैल जाए तो उसे विश्वमारी (pandemic) कहते हैं। इतिहास भर में महामारियों के अनेकों वर्णन आते रहे हैं, जैसे की काली मौत (Black Death) पिछले सौ वर्षों की महत्त्वपूर्ण विश्व्मारियों में शामिल हैं।
1. आपदा कितने प्रकार की होती है?
Ans. आपदा दो प्रकार की होती है। एक मानव निर्मित आपदा व प्राकृति निर्मित आपदा
2. आपदा से आशय व कितने प्रकार की होती है।
Ans. दूनिया में आपदा केवल दो प्रकार होती हैं जिसमें से एक मानव निर्मित आपदा व दूसरी प्राकृति निर्मित आपदा। जिसमें से आज हम देवभूमि समीक्षा के माध्यम प्राकृतिक आपदा के बारे में जानकारी देंगे।
3. क्या प्राकृतिक आपदाओं का एकदम सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है ?
Ans. हमारे बैज्ञानिक आज प्राकृतिक आपदाओं के बारे में काफी कुछ जान गए है। लेकिन फिर भी एकदम सटीक पूर्वानुमान लगा पाना संभव नहीं हो पाया है। पूर्वानुमान की यदि बात करें तो आंधी, तूफान, तेज बारिश, बाढ आदि के बारे में काफी हद तक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। लेकिन भूकंप, ज्वालामुखी आदि के बारे में एकदम सटीक पूर्वानुमान लगा पाना आज भी वैज्ञानिको के लिए चुनौती बनी हुई है।
4. प्राकृतिक आपदा क्या होता है?
Ans. सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटनेजैसी प्राकृतिक आपदायें बार-बार मनुष्य को चेतावनी देती है।
5. सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं किस देश में हैं?
Ans. 1.वानुअतु। विश्व जोखिम सूचकांक की 2021 रिपोर्ट के अनुसार, छोटे प्रशांत महासागरीय देश में ग्रह पर सबसे अधिक आपदा जोखिम है।