एक वह भी वक्त था जब लोग धार्मिक संस्थानों या आश्रम को जमीन दान किया करते थे। और अब वह दिन भी है जब आश्रमों की जमीनों पर कब्जा जमाया जा रहा है। बानगी के तौर पर हरिद्वार के आश्रमों को लिया जा सकता है जिनकी जमीन हड़पने वाले भू-माफिया के प्रति पुलिस-प्रशासन की रहमदिली हैरतनाक है । आश्रमों की जमीनों पर कब्जा कर उन्हें बेचने का सिलसिला तब भी बदस्तूर जारी है जब हाईकोर्ट ने इन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दे रखे हैं
गौरतलब है कि आश्रम का क्षेत्रफल 10000 वर्ग फीट से भी अधिक है इस संपत्ति को 1974 से पूर्व कुंभ मेले के अवसर पर गुरु महंत सुरजन दास ने खरीदा था तब यहां झाड़ जंगल हुआ करता था कहा जाता है कि गुरु महंत सुरजन दास ने स्वयं इसकी सफाई कर यहां पर कुटिया बनाई इसी कुटिया में सुरजन दास आजीवन तपस्या करते रहे महंत सुरजन दास का निधन 1980 में हो गया। इसके बाद उनके शिष्य स्वामी हरिहर दास ने इस जमीन पर मंदिर, आश्रम, सत्संग हॉल आदि का निर्माण करवाया।
यहां वर्षों तक साधु सन्यासी निवास करते रहे हरिहर दास फिरोजपुर से थे। पिछले कुछ वर्षों से इस आश्रम की जमीन पर कब्जा करने के लिए हरिहर दास को धमकी मिलने लगी। इस पर वह आश्रम को बचाने के लिए अदालत की शरण में गए सिविल अदालत हरिद्वार के निर्देश पर एक आयोग ने वर्ष 2001 में आश्रम की स्थली एवं कार्ड की जांच कर अदालत को रिपोर्ट सौंपी थी, जिस पर आश्रम को काफी पुराना बताया गया था। जांच में हरिहर दास ने ग्रह कर और जलकर के पेपर भी दिखाए हरिहर दास के बड़े भाई सोहनलाल भी आश्रम में ही रह रहे थे।
हरिहर दास ने अपने निधन से पूर्व 6 फरवरी को एक अधिकार पत्र लिखा इस अधिकार पत्र में उन्होंने लिखा पिछले 5 वर्षों से मेरे एक गृहस्थ शिष्य शिवकुमार मेरी सेवा और शिव शक्ति मंदिर में रोजाना पूजा करता आ रहा है। 1 माह पूर्व से वह उसकी पत्नी और बच्चों के साथ आश्रम में रह रहा है मैं अपनी मल्ली की याद वाले इस आश्रम में शिव कुमार को निवास करने जीवन भर यहां रहकर शिव शक्ति मंदिर में बतौर पुजारी पूजा करने का अधिकार देता हूं। किसी व्यक्ति एवं मेरे किसी संबंधी को मेरे इस अधिकार पत्र को चुनौती देने का अधिकार नहीं होगा।
इस अधिकार पत्र के कुछ महीने बाद हरिहर दास का निधन हो गया उसके निधन के बाद आश्रम पर पहले से नजर गड़ाए बैठा भू-माफिया फिर सक्रिय हो गया।
हरिहर दास के भाई सोहन लाल और पुजारी शिवकुमार को शक है कि हरिहर दास को कई बार पंजाब ले जाया गया वहां उसे स्लो पोइज़निंग दिया जाता था यही उसकी मौत का कारण बना दोनों ने कई बार पुलिस में उसकी मौत की जांच का लिखित आग्रह भी किया लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। यहां तक कि इन दोनों ने हरिद्वार जिलाधिकारी, डीजीपी उत्तराखंड को लिखित रूप से निवेदन किया है कि कुछ लोग भूमाफिया के साथ मिलकर आश्रम पर कब्जा करने के लिए सक्रिय हैं इसे रोका जाए।
सोहनलाल ने इसमें कुछ लोगों के नामों का भी जिक्र किया है जिसके पत्र के मुताबिक फतेहाबाद निवासी उमा देवी, कृष्ण भुडिया (मां-बेटे) के अलावा करतार सिंह उर्फ ज्ञानानंद, जग्गू , अशोक सैनी आदि मिलकर आश्रम को कब जाने में लगे हुए हैं।
बताया जा रहा है कि इन लोगों ने पुजारी शिवकुमार को आश्रम छोड़ने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे आजमाएं शिवकुमार इनके मंसूबों को नाकाम करने के लिए अदालत गए। सिविल जज रविशंकर मिश्रा ने आदेश दिया कि सुनवाई पूरी होने तक आश्रम में यथास्थिति बहाल की जाए। इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन अदालत के आदेश का पालन करने में नाकाम रहा।
हरिद्वार पुलिस और प्रशासन अदालत की अवमानना करने में भी नहीं हिचके। अदालत के इस आदेश के कुछ दिनों बाद ही आश्रम के पुजारी शिवकुमार की अनुपस्थिति में इन लोगों ने पुजारी की पत्नी और उनके छोटे-छोटे बच्चों को आश्रम से बाहर फेंकवा दिया। यही नहीं उसके सामान को भी बाहर फेंकवा दिया। इस घटनाक्रम पर पुजारी शिव कुमार का कहना है कि जिस दिन यह घटना हुई उस दिन मैं उन लोगों की शिकायत लेकर एसएसपी के पास गया था। एसएसपी ऑफिस से बाहर निकलते ही मेरी पत्नी का फोन आया और उन्होंने कहा उसे बच्चों से तो आश्रम से बाहर कर दिया गया।
मैंने उसे वहां रुकने को कहा और आश्रम की ओर जाने लगा रास्ते में मेरे पास खड़खड़ी चौकी प्रभारी विजेंद्र कुमार का कॉल आया उन्होंने मुझे आश्रम जाने से रोक दिया और चौकी बुला लिया। मेरे वहां पहुंचने पर आश्रम पर कब्जा करने वाले लोग भी वहां पहुंच गए उसके सामने चौकी प्रभारी ने मुझे उनसे समझौता करने को कहा जब मैंने नहीं माना तो चौकी प्रभारी ने हम लोगों को आश्रम के स्वामी के पास जाने को कहा।
जब मैंने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने फिर मुझे वहां से जाने को कह दिया तब से अब तक मैं अपने पूरे परिवार के साथ हरिद्वार से बाहर रहकर आश्रम को बचाने का प्रयास कर रहा हूं हरिद्वार की पुलिस भी इन लोगों से मिली हुई है खासकर नगरकोट वाली के कोतवाल पीसी मठपाल। इन्हीं के संरक्षण में भूमाफिया आश्रम पर कब्जा कर रहा है और उल्टा मेरे खिलाफ शांति भंग करने का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया।
कोर्ट के आदेश का ओमान स्थानीय प्रशासन और पुलिस धड़ल्ले से कर रहे हैं पुजारी और उनका पूरा परिवार आश्रम को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। उसके साथ हरिद्वार के कुछ सामाजिक कार्यकर्ता खड़े हैं ऐसे ही एक सामाजिक कार्यकर्ता जे पी बड़ौनी है। वह भी कई बार एसएसपी और डीजीपी तक का भूमाफिया की इस करतूत की जानकारी देकर उन पर कार्रवाई करने का आग्रह कर चुके हैं।
जेपी बडोनी कहते हैं अधिकारी निरंकुश और बेलगाम होते जा रहे हैं हालात इस कदर आ गई है कि अधिकारी के लिए न्यायालय के आदेश भी मायने नहीं रखते मैंने इस संग्रह में एसएसपी को ई-मेल भेजकर प्रकरण को गंभीरता से अवगत कराया है। उसके कार्यकाल में भी पत्र दिया था मगर कुछ नहीं हुआ डीजीपी को पत्र भेजकर इसकी सीबीआई जांच की मांग की है।
आश्रम के पुजारी को बाहर निकालने के बाद आश्रम के तीन हिस्से कर दिए गए इसमें अदालत से लेकर नगर मजिस्ट्रेट के आदेशों का खुलेआम अवहेलना हो रही है। जिला अधिकारी हरीश चंद्र सेमवाल ने पुजारी शिवकुमार की शिकायत सुनने के बाद एसडीएम हरिद्वार और कोतवाली को अदालत के आदेश पालन करने के निर्देश दिए हैं इसके बावजूद आश्रम में निर्माण कार्य होना प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है।